यहां चावल और चावल को कूटकर बनाए गए चूड़ा या चिउड़ा काफी लोकप्रिय खाद्य
है। साथ ही मवेशियों का पालन भी होता है तो जाहिर है कि काफी आसानी से दूध
उपलब्ध होता है और घर की महिलाएं सहज रूप से दही जमा पाती हैं मानो यह उनके
बायें हाथ का खेल हो। ये भी पढ़ें - ...तो इसलिए रोजाना शेव करती है यह हसीना!
घर के लोग बड़े चाव से चूड़ा-दही खाते हैं।
यह भोजन अपने आप में एक दर्शनशास्त्र है। मिथिला के दर्शनशास्त्री हरिमोहन
झा अपने हास्य गल्प-संग्रह 'खट्टर काकाक तरंग' में बताते हैं कि
'चूड़ा-दही-चीनी' गणित का त्रिभुज है। शहरी क्षेत्रों में चूड़ा को चिउड़ा
कहा जाता है।
चूड़ा का प्रयोग पोहा बनाने में किया जाता है। आजकल यह
पोहा इतना पसंद किया जाता है कि विमान सेवा के फूड कोर्स में भी इसे शामिल
किया गया है।
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