कुछ साल तक तो महिलाएं चुप रहीं, फिर उन्होंने पुरुषों को
समझाने की कोशिश की और जब वे नहीं माने तो गांव की सभी महिलाएं उसी राम
जानकी मंदिर में इकट्ठा हुईं और फैसला लिया कि होली के दिन गांव की सभी
महिलाएं पूरी रस्म के साथ त्योहार मनाएंगी। इसमें पुरुषों की कोई भागीदार
नहीं रहेगी। ये भी पढ़ें - क्या कभी देखीं है ऎसी फल, सब्जियां, देखें तस्वीरें
उदयपुर के मेनार गांव में खेली गई बारूद की होली
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