जुलूस की तरह शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है। जुलूस के आगे-आगे रेशमी कपड़ों और फूल-मालाओं से लिपटा एक साठ फीट लंबा स्तंभ चलाया जाता है और इस स्तंभ के अंदर ही शव को रखा जाता है। उल्लेखनीय है कि बाली द्वीप के लोगों की आर्थिक स्थिति इतनी सशक्त नहीं होती कि वह शव का अंतिम संस्कार कर पाएं इसीलिए अधिकांश लोगों को अपना घर तक बेचना पड़ता है। लेकिन बाली-निवासी के लिए इससे बढ़कर और क्या बात होगी, जो उसने किसी मृत व्यक्ति की आत्मा के लिए अपना घर-बार बेचकर भी अपने कर्त्तव्य का पालन किया। ये भी पढ़ें - Pics: जब "बुलेटरानी" बनकर आई दुल्हन और...
जब कोई मरता है तो उसके घर के बाहर घी का दिया जलाया जाता है और शव को ठीक दहलीज पर रखकर शुभ मुहूर्त की प्रतीक्षा की जाती है। कभी-कभी तो दफनाने का यह शुभ मुहूर्त कई दिनों तक नहीं आता है।
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