एक वीडियो से प्रभावित होकर लडक़े
ने अपनी उम्र के लगभग दोगुनी उम्र के छात्रों को पढ़ाने का मन बनाया। अली
ने कहा, मैं इंटरनेट पर एक वीडियो देख रहा था, जिसमें बताया कि कैसे भारतीय
पढ़ाई के बाद भी विदेशों में नौकरियां कर रहे थे। यही कारण है कि मेरे
दिमाग में आया कि हमारे इंजीनियरों की क्या कमी है? मुझे एहसास हुआ कि
मुख्य रूप से तकनीकी और संचार कौशल है कि जिससे वे अच्छी तरह से अवगत नहीं
हैं। चूंकि मेरी रुचि डिजाइनिंग में रही है, इसलिए मैंने इसे सीखना और
पढ़ाना शुरू कर दिया। ये भी पढ़ें - इस गांव में हर आदमी करोडपति, लेकिन गांव छोडते ही . . .
हसन की सिविल इंजीनियर छात्र जी सुषमा ने कहा,
मैं यहां सिविल सॉफ्टवेयर सीखने के लिए डेढ़ महीने से आ रही हूं। वह हम
सभी के लिए छोटा है लेकिन अच्छी तरह से पढ़ाता है। उसकी स्किल अच्छी हैं और
वह जो सिखाता है, उसे समझना आसान है।
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