भारत में बहुत सी परम्पराए हैं और अक्सर हमे ऐसी ही कोई परम्पराए सुनने को मिल जाती है, जो बड़ी अटपटी सी लगती है। ऐसी ही एक परंपरा उत्तरप्रदेश में है जहां दिन निकलने से पहले ही पूरा गांव खाली हो जाता है और दिन ढलने के साथ ही नियमानुसार पूजा पाठ करने के बाद भी गांव के लोग अपने घरों में वापस जाते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है जिसे आज भी गांव के लोग चाहे हिंदू हो या मुस्लिम, किसी भी धर्म के हो सभी लोग एक साथ मिलकर इस परंपरा को कायम किए हुए हैं, जिसे लोग परावन के नाम से जानते हैं। उत्तरप्रदेश के सिसवा बाजार से पश्चिम की तरफ 2 किलोमीटर दूर ग्रामसभा बेलवा चौधरी गांव में पिछले सैकड़ों सालों से यह परावन की परंपरा हर तीसरे साल बुद्ध पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है।
सूर्य निकलने से पहले ही गांव के हर घरों में ताले लग जाते हैं और सभी लोग गांव से बाहर निकल पड़ते हैं और खेतों व बगीचों में अपना पड़ाव डालकर पूरे दिन वहीं रहते हैं। अगर किसी घर में एक दिन पहले नई नवेली दुल्हन आई है वह भी घर से बाहर चली जाती है। इस दौरान पशुओ को भी लोग अपने साथ रखते हैं। गांव की गलियां पूरी तरह सुनी हो जाती है। गांव में रहने वाले हिंदू मुस्लिम छोटे बड़े सभी एक साथ गांव को छोड़ कर बाहर निकल जाते हैं और इस परंपरा का निर्वहन करते हैं। यह परंपरा सरको सालों से चली आ रही है।
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