कहा जाता है कि यह टैटू इस समाज के लोगों के लिए एक सामाजिक बगावत की
निशानी है। यहां के लोगों के मुताबिक, लगभग 100 साल पहले गांव में हिन्दुओं
के ऊंची जाति के लोगों ने इस समूह के लोगों को मंदिर में घुसने से मना कर
दिया। तब से यह प्रथा शुरू हुई। अपने शरीर के हर एक कोने पर राम का टैटू
कराने की। ये भी पढ़ें - एक बार फिर तैयार है टाइटैनिक, जानिए कैसे
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