ऐसा न जाने कितने दशकों से चला आ रहा है। मगर कभी भी कोई इसकी सही वजह नहीं
ढूंढ पाया। इससे पहले 13वीं शताब्दी में जब यात्री मार्को पोलो पहली बार
चीन पहुंचे थे तो वहां के रेगिस्तानी इलाकों में ऐसे ही संगीत की धुनें
उन्होंने भी सुनी थीं। तब उन्होंने अनुमान लगाया था कि ये शायद आत्माएं
हैं, जो रेगिस्तान में भटकती हैं। मगर ऐसा कैसे हो सकता है कि दो बिल्कुल
अलग-अलग जगहों पर एक सी ही घटनाएं हों और वह भी इतने समय के अंतराल में। ये भी पढ़ें - चम्बा में है यमराज का अनोखा संसार
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