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खबरों के अनुसार, 2005 से यहां भक्तों ने मोबाइल के सहारे अपनी
फरियाद पहुंचाना शुरू कर दिया, जो आज भी जारी है। जब भी कोई व्यक्ति मोबाइल
फोन पर चिंतामण गणेश से ‘बात करने की’ इच्छा जताता है, वह फोन को सीधे
भगवान की मूर्ति के पास ले जाते हैं और उन तक भक्त का संदेश पहुंचा देते
हैं।
गौरतलब है कि 1200 साल पुराने परमारकालीन मंदिर में विराजे
चिंतामण गणेश को फोन करने की अनूठी परंपरा तब शुरू हुई, जब इंदौर से
ताल्लुक रखने वाला एक भक्त जर्मनी में बस गया। यह भक्त हजारों मील के फासले
से भगवान को नियमित तौर पर चिट्ठियां लिखा करता था।
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