यहां के हैंडपंपों और कुओं से निकलने वाले पानी में फ्लोराइड की मात्रा
अधिक होने के कारण पूरा का पूरा गांव समय से पहले ही अपंगता के साथ-साथ
लगातार मौत की ओर बढ़ रहा है। शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं होने के कारण
मजबूरन आज भी यहां के लोग फलोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं, बावजूद
शासन-प्रशासन मौत की ओर बढ़ रहे इस गांव और ग्रामीणों की ना तो सुध ले रहा
है ना ही इस खतरनाक हालात से बचने के लिए कोई कार्ययोजना तैयार करता नजर आ
रहा है, जबकि इस गांव में आठ वर्ष के उम्र से लेकर 40 वर्ष तक का हर तीसरे
व्यक्ति में कुबड़पन, दांतों में सडऩ, पीलापन और बुढ़ापा नजर आता है। ये भी पढ़ें - उम्र 92 वर्ष, 107 पत्नियां, 185 बच्चे लेकिन एक और शादी....
यहां
के लोगों का कहना है कि गांव में पांच नलकूप और चार कुएं हैं, इनमें से
सभी नलकूपों और कुओं में फलोराइड युक्त पानी निकलता है। लोक स्वास्थ्य
यांत्रिकी विभाग ने सभी नलकूपों को सील कर दिया था लेकिन गांव के लोग अब भी
दो नलकूपों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
उनका कहना है कि हर व्यक्ति शहर
से खरीदकर पानी नहीं ला सकता है, इसलिए यही पानी पीने में इस्तेमाल होता
है। यही नहीं, बल्कि गर्मी के दिनों में कुछ लोग तीन किमी दूर इंद्रावती
नदी से पानी लाकर उबालकर पीते हैं।
चूहे खा गए 19 किलो गांजा और भांग, अदालत में गवाही के दौरान हुआ खुलासा
उदयपुर के मेनार गांव में खेली गई बारूद की होली
डॉक्टरों ने किया मृत घोषित, रास्ते में पुनर्जीवित हुई महिला, अब सकुशल और ICU में है
Daily Horoscope