शोधकर्ताओं ने कहा कि मछलियों और स्तनधारियों के रेटीना (आंख के पीछे स्थित
प्रकाश संवेदन ऊतक) की संरचना मूल रूप से समान होती है। इस तरह जीएबीए में
कमी से रेटीना के फिर से बनने की शुरूआत हो सकती है।
अमेरिका के शहर टेनेसी में वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय में प्रोफेसर जेम्स
पैटन ने कहा,हमारा मानना है कि जीएबीए की मात्रा में कमी से रेटीना फिर से
बनने लगती है। यदि हम सही हैं तो जीएबीए अवरोधक के इलाज से मानव रेटीना में
सुधार की पूरी गुंजाइश है।
शोध में वैज्ञानिकों ने एक अंधी मछली में दवा का इजेक्शन दिया तो पाया कि
रेटीना में जीएबीए की सांद्रता उच्च स्तर पर पहुंच गई जिससे रेटीना के फिर
से निर्माण की प्रक्रिया दब गई।
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