नई दिल्ली। डुबकी किंग नाम से मशहूर अपने 20 वर्षीय कप्तान प्रदीप नरवाल के शानदार प्रदर्शन के दम पर फाइनल मैच में गुजरात फाच्र्यून जाएंट्स को मात देकर पटना पाइरेट्स ने वीवो प्रो-कबड्डी लीग सीजन-5 का खिताब जीतकर हैट्रिक लगाई है। पटना की टीम यह मुकाम हासिल करने वाली प्रो कबड्डी इतिहास की पहली टीम बन गई है। इस खिताबी हैट्रिक के पीछे सिर्फ और सिर्फ एक खिलाड़ी का योगदान है और वे हैं प्रदीप नरवाल। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कबड्डी के युग पुरुष के तौर पर अपनी साख बनाने वाले प्रदीप ने हालांकि, इस जीत का श्रेय अच्छे डिफेंस और मजबूत इरादों को दिया। प्रदीप ने आईएएनएस के साथ खास बातचीत में कहा, यह पूरी टीम की जीत है क्योंकि लीग के अंतिम और अहम मुकाबलों में उनके डिफेंस ने अच्छा काम किया और मोनू गोयत जैसे उनके साथी रेडर ने अच्छा साथ निभाया। प्रदीप को इस टूर्नामेंट का सबसे उम्दा खिलाड़ी चुना गया।
वे यह पुरस्कार लगातार दूसरे साल पाने में सफल रहे हैं। पटना ने इससे पहले प्रदीप के साथ ही सीजन-3 और सीजन-4 का खिताब अपने नाम किया था। चेन्नई से घर लौट रहे प्रदीप ने आईएएनएस को बताया, मैच की शुरुआत में भले ही टीम पिछड़ रही थी, लेकिन हमने अपनी कोशिश और लक्ष्य तक पहुंचने का इरादा नहीं छोड़ा। इसी आत्मविश्वास के दम पर हम आगे बढ़े और जीत हासिल की। हमारी टीम इस खिताब के लिए मानसिक तौर पर तैयार थी।
हालांकि गुजरात का मजबूत डिफेंस उनकी राह में रोड़ा बनता दिख रहा था लेकिन कोच राम मेहर सिंह ने अपने खिलाडिय़ों के साथ मिलकर उस चक्रव्यूह को तोडऩे का भी रास्ता निकाल लिया। मैच से पहले प्रदीप ने कहा था कि अगर उनकी टीम को गुजरात के खिलाफ जीतना है, तो रेडिंग के साथ-साथ अपना डिफेंस भी मजबूत करना होगा और फाइनल मैच में पटना के डिफेंस ने कमाल का प्रदर्शन किया। प्रदीप ने जहां गुजरात के दमदार डिफेंडरों फजल अतराचली और अबोजार मोहाजेरमिगानी की हर चाल को नाकाम किया, वहीं पटना ने अच्छे डिफेंस से गुजरात के रेडरों के लिए अंक लेना मुश्किल कर दिया।
अपने डिफेंडरों के प्रदर्शन से खुश कप्तान प्रदीप ने कहा, पटना का डिफेंस इस मैच में शानदार रहा और इसी कारण हम शुरुआत में दोगुने अंकों के अंतर से पिछडऩे के बावजूद खेल में वापसी कर पाए और खिताब जीता। टीम के हर खिलाड़ी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। हमारी रणनीति साफ थी। हम फजल और अबोजार को किसी भी हाल में मौका नहीं देना चाहते थे और इसी कारण हमने दोनों किनारों पर आक्रमण किए। इससे फजल और अबोजार बेबस नजर आए।
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