पुणे। बंगाल और दिल्ली की टीमें जब रविवार से शुरू हो रहे पांच दिवसीय सेमीफाइनल मैच में उतरेंगी तो उनकी कोशिश वर्ष 2010 के बाद से पहली बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में जगह बनाने की होगी। दोनों टीमें महाराष्ट्र क्रिकेट संघ स्टेडियम में भिडेंगी। बंगाल की टीम को भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा विकेटकीपर-बल्लेबाज रिद्धिमान साहा और तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी के आने से मजबूती मिली है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बंगाल ने अपना आखिरी रणजी ट्रॉफी खिताब 1989-90 में जीता था जबकि दिल्ली 2007-08 में गौतम गंभीर की कप्तानी में जीती थी। गंभीर 10 साल बाद भी टीम के साथ हैं लेकिन इस बार वो कप्तान नहीं है। हालांकि बल्लेबाजी का पूरा दारोमदार उनके कंधे पर होगा साथ ही सीनियर खिलाड़ी होने के नाते उनकी जिम्मेदारी टीम को संभालने और उसे अपने अनुभव से मजबूत करने की होगी।
यह मैच एक तरह से दिल्ली की बल्लेबाजी और मनोज तिवारी के नेतृत्व वाली बंगाल की बेहतरीन गेंदबाजी के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा के रूप में देखा जा रहा है। दिल्ली की गेंदबाजी कप्तान ईशांत शर्मा के चोटिल होने के बाद कमजोर हो गई है। ईशांत के टखने में चोट है। उनकी गैरमौजदूगी में ऋषभ पंत टीम की कमान संभालेंगे। बल्लेबाजी की जिम्मेदारी गंभीर के अलावा युवा बल्लेबाज ऋषभ पंत, ध्रूव शोरे, नितिश राणा, हिम्मत सिंह, और कुणाल चंदेला पर होगी।
वहीं इस सीजन में दिल्ली के तेज गेंदबाज नवदीप सैनी ने अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया है। वहीं बंगाल के पास अभिषेक रमन, अभिमन्यू ईश्वरन और अनूस्तूप मजूमदार के रूप में अच्छे बल्लेबाज हैं जो लगातार रन बना रहे हैं। कप्तान मनोज तिवारी की प्रतिभा और रन बनाने की क्षमता से विपक्षी टीम अच्छी तरह से वाकिफ है।
साहा की वापसी के कारण श्रीवत्स गोस्वामी को बाहर बैठना होगा या फिर मनोज, अनूस्तूप को बाहर रख सकते हैं। गेंदबाजी में शमी के जिम्मे बहुत कुछ होगा। हालांकि उनका साथ बंगाल के सबसे सफल गेंदबाजों में से एक अशोक डिंडा देंगे।
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