विधान सभा चुनाव 2017 - क्या गुल खिलाएगा कुशवाहा समाज

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 23 सितम्बर 2016, 1:30 PM (IST)

झांसी। बुन्देलखण्ड की सभी 19 विधानसभा सीटों पर अपनी बड़ी संख्या में आमद रखने वाला कुशवाहा समाज का वोटर इस बार चुनाव में क्या गुल खिलाने जा रहा है। यह भविष्य के गर्त में है। कुशवाहा समाज के नेताओं की विधानसभा चुनाव 2017 से ठीक पहले राजनैतिक उठापठक ने इस तरफ सभी का ध्यान आकर्षित कराया है। जो चुनाव में किसको फायदा या नुकसान पहुंचाएगा जैसा सवाल लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

बुन्देलखण्ड के बांदा जनपद से देश-प्रदेश की राजधानी तक अपना रूतबा बनाने वाले पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा इन दिनों अपने जनअधिकार मंच के बैनर तले पूरे प्रदेशभर में विभिन्न रैलियां कर चुके हैं। जाम के पदाधिकारी, कार्यकर्ता प्रदेश भर में कार्यकर्ता सम्मेलन कर रहे हैं। इससे पहले वे बसपा में थे। 20 सितम्बर को झांसी के एक विवाह घर में आयोजित हुये जाम के कार्यकर्ता सम्मेलन में मुख्य अतिथि मंच के प्रदेशाध्यक्ष निषाद ने बताया कि प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी।

बुन्देलखण्ड के गांधी कहे जाने वाले पूर्व मंत्री और कुशवाहा समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरगोविन्द कुशवाहा सपा, बसपा के बाद अब भारतीय जनता पार्टी के कमल पर अपने समाज को लाने के लिये काम कर रहे हैं। कभी सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के खास माने जाने वाले हरगोविन्द वर्ष 2011 में बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा अलग बुन्देलखण्ड की पहल करने पर उनकी तारीफ के पुल बांधते हुये हाथी पर सवार हुये थे।

जिसके बाद वे विधानसभा चुनाव 2012 और लोकसभा चुनाव 2014 में बसपा प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाते दिखे। विस चुनाव 2017 से पहले उन्होने फिर पासा पलटा। अब वे बीजेपी के लिये काम कर रहे हैं। तो वहीं चर्चाएं यह भी हैं कि पार्टी उन्हे बबीना 222 सीट से अपना प्रत्याशी बना सकती है।
कभी सपा फिर बसपा और अब वे बीजेपी के लिये वोट मांगेंगे। जो दृश्य देखने लायक होगा। रियल स्टेट और सामूहिक सम्मेलनों की धूम से बुन्देलखण्ड की राजनीति में सुर्खियां बटोरने वाले श्री शिवपरिवार लोक कल्याण संस्था के अध्यक्ष नत्थू कुशवाहा पूर्व चुनावों मे कांग्रेस प्रत्याशी का समर्थन करते देखे गये।

पिछले माह मुक्ता कांशी मंच पर आयोजित हुई जन अधिकार मंच की रैली में वे बाबू सिंह कुशवाहा के समर्थन में नारेबाजी करते दिखे। बसपा में भी उनकी सुगबुहाट सुनी गयी। अब जब चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गयी तब वे बीजेपी के सहयोगी दल रालोसपा के बैनर तले अपना चुनावी सफर शुरू कर चुके हैं। वे खुद जहां बुन्देलखण्ड प्रभारी हैं, तो वहीं उनकी पत्नी श्रीमती चांदनी कुशवाहा को रालोसपा ने बबीना 222 विस सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है। सत्ता रूढ़ पार्टी सपा ने झांसी विधानसभा 223 सीट से युवा चेहरा दीपमाला कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाकर कुशवाहा समाज के प्रति अपना मोह दिखाया है। तो वही कुशवाहा समाज के नगर अध्यक्ष पार्षद वीरेन्द्र सिंह कुशवाहा खुद सपा प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाते सभी के सामने देखे जा रहे हैं। बसपा ने सदर सीट से एक फिर से सीताराम कुशवाहा पर अपना दांव खेला है। तो कांग्रेस भी बबीना और बुन्देलखण्ड के अन्य सीटों पर कुशवाहा समाज से प्रत्याशी बनाने के लिये प्रयास कर रही है। ऐसी चर्चाएं पार्टी सूत्रों से कई बार बाहर आ चुकी है।

यानि इस क्षेत्र में सर्वाधिक वोट की ताकत रखने वाला समाज विस चुनाव 2017 से पहले विभिन्न दलों मे बंट गया है। अपने वोट की बड़ी बैंक के चलते पूर्ववर्ती चुनावों मे इतराने वाला समाज अब खुद दूसरों की ओर देखता नजर आ रहा है। ऐसा में देखना होगा कि कुशवाहा समाज का यह बिखराव चुनाव में क्या गुल खिलायेगा ? या दूसरे समाज के वोटों का खंडन कर अपना उल्लू सीधा कर पायेगा ? सभी दल कर रहे कुशवाहा समाज के साथ होने की बात बुन्देलखण्ड की राजनीति में सक्रिय सभी राजनैतिक दल इन दिनों कुशवाहा समाज को अपने साथ होना बता रहे हैं। हालांकि जमीनी हकीकत इससे बहुत अलग है। समाज का आम वोटर किस के साथ जायेगा या फिर कोई नया गुल खिलायेगा, ये चुनाव परिणाम ही बता सकेंगे। फिलहाल चुनाव से पूर्व कुशवाहा समाज के नेताओं की नयी राजनैतिक पारियां सुर्खियों में है। साथ ही इंतजार है शांत बैठे समाज के मतदाताओें की चुपचाप चली जा रही चुनावी बिसातों का ?