उरी हमला: जांच से खुलासा, दो गार्ड पोस्ट के बीच था तालमेल का अभाव

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 23 सितम्बर 2016, 12:10 PM (IST)

उरी। कश्मीर के उरी में सेना मुख्यालय पर आतंकी हमले को लेकर शुरुआती जांच में सुरक्षा संबंधी कुछ खामियों के संकेत मिले हैं। इनमें दो गार्ड पोस्टों के बीच तालमेल की कमी सबसे अहम है। मीडिया खबरों में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) फिलहाल मौके से हमले के सबूतों को इक_ा करने के साथ दस्तावेजी कामों को अंजाम देने में जुटी है।
उरी में सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर की अति संवेदनशील मौजूदगी के बावजूद जांचकर्ताओं ने पाया कि यहां कई जगह बाड़ सही तरीके से नहीं लगी हुई थी। यहां बीते रविवार तडक़े हुए आतंकी हमले में सेना के 18 जवान शहीद हो गए थे।
सुखदर गांव में एक दिन पहले से रुके थे चारों आतंकी

जांच ने इस संभावना की ओर भी इंगित किया है कि हमले में शामिल चार आतंकी पीओके से हाजी पीर दर्रे से होते हुए 16-17 सितंबर की रात को क्षेत्र में आए और सुखदर गांव में, जहां से ब्रिगेड हेडक्वार्टर और उसके अंदर सैनिकों के मूवमेंट को साफ देखा जा सकता है, रुके थे। सूत्रों ने बताया कि ब्रिगेड हेडक्वार्टर की बाड़ के आसपास जंगली घास और झाडिय़ों का भी आतंकियों के फायदा उठाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। घास और झाडिय़ों की वजह से बाड़ के पास आतंकियों की हलचल को पकड़ा नहीं जा सका। यहीं से बाड़ को काट कर आतंकियों को अंदर आने का रास्ता मिला, स्टैंडर्ड सिक्योरिटी प्रोसीजर्स के मुताबिक, किसी भी अहम सुरक्षा ठिकाने के आसपास लंबी घास और झाडिय़ों को काटे जाना जरूरी है, लेकिन उरी में इससे जुड़ी खामी सामने आई।
दो गार्ड पोस्ट के बीच तालमेल की कमी

शुरुआती जांच ने यह भी इंगित किया है कि हर वक्त गार्ड की मौजूदगी वाली दो पोस्ट सिर्फ 150 फीट की दूरी पर हैं, जिससे कि आतंकियों की किसी भी घुसपैठ की कोशिश को पकड़ा जा सके, लेकिन संभव है कि दोनों पोस्ट के बीच तालमेल की कमी की वजह से उरी में ऐसा हुआ।
पुलिस ने 24 घंटे के कॉल डिटेल्स जुटाईं
सूत्रों ने बताया कि हमले से 24 घंटे के दौरान उरी कस्बे में सक्रिय सभी सेलफोन्स और ब्रॉडबैंड कनेक्शन्स की कॉल डिटेल्स और इंटरनेट डेटा यूसेज जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जुटा लिए हैं। इसे आगे जांच के लिए एनआईए के हवाले कर दिया गया है। इसके अलावा मारे गए आतंकियों के डीएनए सैम्पल भी पुलिस ने एनआईए को सौंप दिए हैं। सूत्रों ने बताया कि अधिकारियों ने मारे गए आतंकियों के शव ब्रिगेड हेडक्वाटर्स के पास ही गांव के कब्रिस्तान में दफना दिए हैं। उस वक्त स्थानीय इमाम और कुछ स्थानीय नागरिक भी मौजूद थे।
जीपीएस से डेटा हासिल करने की कोशिश

एनआईए टीम यहां मंगलवार को पहुंची थी। यह टीम अब मैटीरियल सबूतों को इक_ा करने के साथ दस्तावेजी काम को पूरा करने में लगी है। सूत्रों ने बताया कि मौके से जो हथियार और अन्य सामान मिले हैं उन्हें दिल्ली ले जाने के लिए लकड़ी के बक्सों में रखा गया है। एनआईए टीम मारे गए आतंकियों के पास से मिले ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) से डेटा हासिल करने की कोशिश में भी लगी है। इंस्पेक्टर जनरल जीपी सिंह की अगुआई में एनआईए टीम उरी में कैंप कर रही है। टीम के कुछ सदस्य शुक्रवार को दिल्ली लौट जाएंगे जबकि कुछ उरी में रुकेंगे। जांच के तहत एनआईए टीम लोगों से पूछताछ करेगी। एनआईए टीम डोजियर तैयार करेगी। इसके बाद पाकिस्तान से मारे गए चारों आतंकियों की पहचान के आधिकारिक तौर पर संपर्क करेगी।
सेना ने भी शुरू की जांच
सेना ने भी हमले को लेकर जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच से पता चला है कि आतंकी हमले से कम से कम एक दिन पहले से ही क्षेत्र में मौजूद थे। जांच में यह भी देखा जाएगा कि अगर कोई खामियां हुईं तो भविष्य में क्या सावधानियां बरती जाएं कि फिर ऐसे कोई हमले ना हो सकें। इस बीच, ब्रिगेड हेडक्वार्टर से होकर जाने वाली सडक़ को गुरुवार को स्थानीय लोगों की आवाजाही के लिए दोबारा खोल दिया गया। यह सडक़ उरी शहर को एलओसी के पास बसे 12 गांवों से जोड़ती है। यह सडक़ हमले के बाद से ही पिछले चार दिन से बंद थी। हालांकि यहां समुचित तलाशी के बाद ही लोगों को आने-जाने दिया जा रहा है। मीडियाकर्मियों को ब्रिगेड हेडक्वार्टर परिसर में जाने की इजाजत अब भी नहीं दी गई है।