नई दिल्ली। भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद पर
शुक्रवार को अंतिम मुहर लग गई है। दिल्ली में 7.878 अरब यूरो के इस सौदे पर
फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां जीन यूव्स ली ड्रियान और भारत के रक्षा
मंत्री मनोहर पर्रिकर ने दस्तखत किए। अब भारत को 66 महीने बाद 36 राफेल
विमान मिल जाएंगे।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पिछले बीस
वर्षों में यह लड़ाकू विमानों की खरीद का पहला सौदा है। इसमें अत्याधुनिक
मिसाइल लगे हुए हैं, जिससे भारतीय वायुसेना को मजबूती मिलेगी। इस समझौते पर
दस्तखत करने के लिए फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां-यीव्स ली ड्रियान विशेष
रूप से शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे। डील पर हस्ताक्षर के समय देसाल्ट
एविएशन, थेल्स और एमबीडीए के सीईओ के साथ शीर्ष सरकारी अधिकारी भी मौजूद
थे। विमान बनाने वाली कंपनी देसॉल्ट के सीईओ एरिक त्रेपियर भी ली ड्रियान
के प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं।
यह सौदा राफेल लड़ाकू विमानों का सबसे बड़ा सौदा है। इससे पहले मिस्र और कतर ने पिछले साल 24-24 विमानों का ऑर्डर दिया था। भारत ने 126 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने के लिए चार साल पहले विशेष बातचीत शुरू की थी, लेकिन विमानों की लागत को लेकर जटिल बातचीत के बीच विमानों की संख्या कम हो गई। रक्षा सूत्रों ने बताया कि इस लड़ाकू विमान की खरीद पर संप्रग सरकार के काल की कीमत की तुलना में करीब 75 करोड़ यूरो बचाये जा सकेंगे, जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने रद्द कर दिया था। इसके अलावा इसमें 50 प्रतिशत आफ सेट का प्रावधान भी रखा गया है। इसका अर्थ यह हुआ कि छोटी बड़ी भारतीय कंपनियों के लिए कम से कम तीन अरब यूरो का कारोबार और ऑफसेट के जरिये सैकड़ों रोजगार सृजित किये जा सकेंगे।