खासख़बर Exclusive:यूपी की सियासत में विरासत के नए बीज!

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 22 सितम्बर 2016, 7:29 PM (IST)

गणेश दूबे, लखनऊ। देश में शुरू से ही यह परम्परा चलती आ रही है कि नेता का बेटा नेता ही होगा। अभी हाल ही में यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने तो इसे सीरियस बिज़नेस तक कह डाला। लालू यादव पहले ही कह चुके हैं कि नेता का बेटा नेता नहीं होगा तो क्या करेगा। दरअसल देश में इसकी नींव जवाहर लाल नेहरू ने ही रख दी थी जब उन्होंने अपना उत्तराधिकारी अपनी बेटी इंदिरा गाँधी को बनाया था। उसके बाद तो इस देश में वंशवाद कि परंपरा ही निकल पड़ी।

इस सिलसिले में राहुल गाँधी, मेनका गाँधी के बेटे वरुण गाँधी, मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजीत सिंह, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के पुत्र जयंत सिन्हा, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी, बालासाहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, पी.ए. संगमा की बेटी अगाथा संगमा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह, लालू के बेटा और बेटी तेज प्रताप और मीसा भारती,

पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा, करूणानिधि की बेटी कनिमोझी, कैबिनेट मंत्री बलराम यादव के बेटे संग्राम सिंह यादव, यूपी भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी के बेटे शरद त्रिपाठी, कांग्रेस के प्रमोद सिंह की बेटी आराधना मिश्र, पूर्वांचल के हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटे कुशल और विनय शंकर तिवारी, वीर बहादुर सिंह के बेटे फ़तेह बहादुर सिंह, कई बार पार्टी बदल चुके हरिकेवल प्रसाद के बेटे रवीन्द्र कुशवाहा ये सभी वो नाम हैं जिनकी अपनी कोई ज़मीन नहीं इन सभी को विरासत में ज़मीन मिली है।

इसी क्रम में यूपी कि सियासत में भी चुनावी साल में विरासत के नए पौधे बोये जाएंगे। ये सभी युवा नेता बनने को बेकरार हैं अब्दुल्ला खान- जिसमें सूबे के कद्दावर नेता आज़म खान के इंजीनियर बेटे अब्दुल्ला खान को राजनीति में उतरने की घोषणा हो चुकी है। सबसे सुरक्षित सीट स्वार टांडा से सपा से चुनाव मैदान में उतरा जाएगा

अशोक और संघमित्रा- हाल ही में बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मोर्य का भी नाम उनमे शामिल हैं जो अपने बेटे अशोक और बेटी संघमित्रा दोनों को भाजपा से विधान सभा चुनाव लड़ाने की तैयारी में हैं। सम्भवत: भाजपा में डील भी हो गई है।

अपर्णा यादव- दुनिया के सबसे बड़े नेता परिवार जो कि परिवारवाद के लिए देश दुनिया में प्रसिद्ध है के मुखिया मुलायम सिंह अब अपनी दूसरी बहू अपर्णा यादव को भी सियासत में लाना चाहते हैं। अपर्णा साइकिल की सवारी के लिए निकल भी पड़ी हैं। उन्हें लखनऊ कि सबसे सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ाया जाएगा

जूही बब्बर- कांग्रेस के प्रदेशध्यक्ष राज़ बब्बर कि बेटी जूही बब्बर को आगरा दक्षिणी से कांग्रेस उमीदवार बनाया जा सकता है। जूही अपनी माँ नादिरा बब्बर और पिता राज़ बब्बर के राह पर चलते हुए कई फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। माना जा रहा है कि आगरा दक्षिणी सीट में 50 हजार से अधिक मुसलिम मतदाता और 25 हज़ार सिंधी पंजाबी मतदाता हैं । जूही की माँ नादिरा मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रचार कर सकती हैं ।

पंकज सिंह - भारत सरकार में गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे को भी यूपी में बनारस या लखनऊ के किसी भी सुरक्षित सीट से भाजपा से उम्मीदवार बनाया जा सकता है.

राकेश वर्मा - पहले सपा सरकार और फिर यूपीए सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके बेनी प्रसाद वर्मा अपने बेटे राकेश वर्मा को इस बार बाराबंकी के रामनगर या फिर बहराइच के कैसरगंज से चुनाव में भाग्य आज़माने की कोशिश में हैं। सपा उन्हें वहाँ से उम्मीदवार बना सकती है ।

जैसे-जैसे विधान सभा चुनाव करीब आएगा वैसे-वैसे कई और राजनेता अपनी नई पीढ़ी को चुनाव में उतरने का ऐलान करेंगे। अब देखना ये है कि मतदाता काम करने वाले उम्मीदवार को जीतने का मौका देंगे या फिर वही घिसी पिटी राजनीति को आगे बढ़ाएंगे। ये तो वक़्त बताएगा, वहीं प्रदेश की जनता विकास को लेकर जागरूक है ।