आतंकियों को था कमांडर के घर तक का पता,कोई अपना ही ‘भेदिया’

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 21 सितम्बर 2016, 12:56 PM (IST)

नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उरी में सेना मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले की छानबीन शुरू कर दी है। एजेंसी जैश-ए-मोहम्मद के सभी चार आतंकवादियों के खून के नमूने ले चुकी है और अप डीएनए टेस्ट की योजना बना रही है। इस बीच, सूत्रों का कहना है कि हमले के पीछे किसी अंदर के भेदिए यानी गद्दार के आतंकियों से मिले होने की आशंका है।
एनआईए ने कहा कि पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान में डीएनए सैंपल्स अहम साबित होंगे और पठानकोट में एयरबेस पर आतंकवादी हमले के मामले की तरह जांच रिपोर्ट से पाकिस्तान पर दबाव डाला जा सकेगा। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सेना को संदेह है कि 12 इन्फैंट्री ब्रिगेड मुख्यालय पर हुए हमले में आतंकियों को किसी ऐसे व्यक्रि ने मदद की है, जिसे कैम्प के बारे में अंदरूनी जानकारी थी। बताया जाता है कि आतंकियों को यह तक पता था कि कैम्प के अंदर ब्रिगेड कमांडर का दफ्तर और कार्यालय किस जगह पर स्थित है। अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है, ‘सेना आतंकियों के नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सुखदर से होते हुए उरी पहुंचने के रास्ते की भी पड़ताल कर रही है। करीब 500 आबादी वाला सुखदर गांव ब्रिगेड मुख्यालय से महज चार किलोमीटर दूर है। गांव और ब्रिगेड मुख्यालय के बीच स्थित जंगल की वजह से आंतकियों को मदद मिली होगी।’
सैन्य टुकड़ी की आवाजाही की थी जानकारी

समझा जा रहा है कि आंतकियों ने जैसा घातक हमला किया, उससे जाहिर होता है कि उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की मदद मिली थी, जिसे न केवल इस इलाके की बल्कि सैनिक टुकडिय़ों की आवाजाही की भी पूरी जानकारी थी। आतंकियों ने पहले एलओसी पर लगी बाड़ को पार किया और उसके बाद ब्रिगेड मुख्यालय पर लगी बाड़ को, फिर सेना और सीमा सुरक्षा बल के पिकेट और चेकपोस्ट को भी भेदकर तक अंदर तक पहुंच गए। एक सूत्र ने बताया, ‘ब्रिगेड मुख्यालय के अंदर घुसना बहुत मुश्किल है, क्योंकि उसके चारों तरफ कड़ी सुरक्षा है। वह किले जैसा है। मुख्यालय में पूरी तरह जान-पहचान का आदमी ही अंदर घुस सकता है इसलिए जांचकर्ता संभावित ‘भेदिए’ की पड़ताल कर रहे हैं। जांच के दायरे में कुलियों और टेरिटोरियल आर्मी के जवानों को भी शामिल किया गया है।’
हमले के बाद घर नहीं लौटे कुली

ब्रिगेड मुख्यालय के पास ही एजाज अहमद की दुकान है। वह कहते हैं, ‘बिना किसी की मदद के ऐसा हमला संभव नहीं। इतने करीब रहने के बावजूद हमें इसके बारे में कुछ नहीं पता तो एलओसी के पार से आने वाले ऐसा हमला कैसे कर सकते हैं? उन्हें इस जगह के बारे में पूरी सूचना रही होगी।’ हमले के बाद स्थानीय कुली घर वापस नहीं गए। आम तौर पर वे शाम को घर लौट जाते हैं। उरी ब्रिगेड में करीब 500 कुली काम करते हैं। ज्यादातर कुली एओसी के करीबी गांवों के रहने वाले हैं।