इस देवस्थान पर चट्टानें भी झुकाती हैं श्रद्धा से सिर

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 27 अगस्त 2016, 10:27 AM (IST)

अजमेर। देवस्थानों पर इंसानों को तो श्रद्धा से सिर झुकाते देखा होगा लेकिन, हम आस्था के एक ऐसे स्थान के बारे में बता रहे हैं जहां निर्जीव चट्टानें भी श्रद्धा से सिर झुका कर नमन करती हैं। अब विज्ञान कुछ भी कहे लेकिन, प्रकृति के इस चमत्कार को देख श्रद्धालु नतमस्तक हुए बिना नहीं रह पाते। यह अजमेर के एक ऐसे गांव की कहानी जहां भगवान को नमन करने के लिए इंसानों के साथ ही चट्टानें भी झुकी दिखाई देती हैं। यह गांव है अजमेर का देवमाली। यह गांव अपने आप में आस्था, विश्वास और परम्पराओं का ऐसा अनोखा संगम है जिस की मिसाल मिलना भी शायद संभव नहीं। आगे पढ़ें क्यों है खास. ..

गुर्जर समाज की आस्था का है केन्द्र

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गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण की कर्म स्थली है देवमाली गांव। कहा जाता है की यही वो स्थान है जहां भगवान देवनारायण ने भाद्रपद शुक्ल की सप्तमी को सदेह स्वर्गारोहण से लौट कर अपने मंदिर का निर्माण किया और गुर्जर समाज को दीक्षा दी। यहां भगवान देवनारायण का मंदिर एक विशाल पहाड़ी पर स्थित है, जिसके बारे में कहा जाता है की इस की स्थापना स्वयं भगवान देवनारायण ने की थी। आगे पढ़ें क्यों सिर झुकाती हैं चट्टानें. ..

यह खासियत है इस मंदिर की

इस गांव के निर्जन इलाके में जहां सिर्फ चट्टानें ही हैं, वहां यह मंदिर बना हुआ है। इन चट्टानों को जब गौर से देखते हैं तो पता चलता है की यह सभी चट्टानें एक ही दिशा में झुकी हुई हैं। जी हां यह सभी चट्टानें भगवान देवनारायण मंदिर की ओर झुकी हुई हैं। स्थानीय लोगो का मानना है की जब भगवान देवनाराय स्वर्ग से लौट कर यहां पहुंचे तो इंसानों के साथ ही धरती मां ने भी उनका नमन किया। सभी चट्टानें भी उन्हें नमन करती हुई मंदिर की दिशा में झुक गईं। साथ ही सभी सूखे पेड़ भी हरे-भरे हो गए और उन्होंने भी झुक कर भगवान को नमन किया। आगे पढ़ें क्यों गांव में नहीं होती चोरी. ..

गांव में कभी नहीं होती चोरी

देवमाली गांव आस्थाओं के साथ ही विश्वास का भी अनूठा उदहारण है। यह शायद राजस्थान का एक मात्र गांव है जहां कोई चोरी नहीं कर सकता है। यही वजह है की इस गांव में कोई भी अपने घर पर ताले नही लगाता। ग्रामीणों के अनुसार गांव के घरों पर कभी भी ताले नहीं लगाए जाते हैं। कहा जाता है की एक बार कुछ चोरों ने भगवान देवनारायण के मंदिर में चोरी की कोशिश की थी। चोर चोरी का माल ले कर नीचे भी आ गए लेकिन बाद में उन्हें गांव के बाहर जाने का रास्ता नही मिला। चोर खुले मैदान में चक्कर लगा रहे थे लेकिन उन्हें लग रहा था की वो गांव की गलियों की भूलभुलैया में खो गए हैं। इस के बाद कभी किसी ने इस गांव में चोरी की कोशिश नहीं की। आगे पढ़ें क्यों नहीं है गांव वालों के पास जमीन...

एक इंच भूमि की भी खातेदारी नहीं

देवमाली शायद प्रदेश का इकलौता ऐसा गांव है जहां के बाशिंदों पास स्वयं की एक इंच भूमि भी नहीं है। इस गांव की पूरी भूमि सरकारी खातों में भगवान देवनारायण के नाम पर दर्ज है। बताया जाता है की पहले यह भूमि गांव वालों के ही नाम दर्ज थी लेकिन, क्योंकि इस गांव के सभी लोगों को पुजारी का दर्जा मिला हुआ है इसलिए सरकारी खातों में सारी भूमि को मंदिर के नाम दर्ज किया गया था। बाद में सरकार द्वारा भूमि कानून संशोधन किए जाने के बाद गांव की पूरी भूमि को भगवान देवनारायण के खाते में दर्ज किया गया। देवमाली गांव के लोगों ने भगवान देवनारायण को उनकी शिक्षाओं पर चलने का वचन दिया था। इसी वचन को आज भी इस गांव के लोग उसी रूप में निभा रहे हैं।

इन वचनों को मानते हैं लोग

भगवान देवनारायण गुर्जर समाज के आराध्य देव है। गुर्जर समाज में जो भी काम किया जाता है भगवान देवनारायण के नाम से ही किया जाता है। मान्यता है की भगवान विष्णु ने धरती से पाप का नाश करने के लिए भगवान देवनारायण के रूप में जन्म लिया। मान्यता है कि उसी समय भगवान देवनारायण ने इस गांव में रहने वाले गुर्जर समाज के लावणा गोत्र के लोगों को अपने मंदिर की सेवा पूजा का काम सौंपा और उनसे कुछ वचन लिए। देवनारायण ने वचन लिया की यदि तुम मेरा मंदिर पक्का करोगे तो स्वयं कच्चे मकानों में रहोगे। इस गांव में कभी भी मांस और नशे का सेवन नही किया जाएगा।

आधुनिकता से रहते हैं दूर

गांव को देवधरा मान चुके यहां के बाशिंदों का विश्वास है की देवनारायण भगवान ने भले ही देह त्याग दी हो लेकिन, आज भी उनका वास इसी गांव में है। यही वजह है की इस गांव के लोग आज भी इस गांव को पवित्र रखने की भरसक कोशिश करते है। कहा जाता है की भगवान देवनारायण को प्राकृतिक वातावरण बहुत अच्छा लगता था। यही वजह है की यह गांव आज भी आधुनिकता से परहेज करता है। भौतिकता के इस युग में भी देवमाली गांव के लोग आज भी कच्चे घरों में ही निवास करते हैं। भगवान देवनारायण को दिए वचन सदियों बाद भी इस गांव में निवास करने वालों को याद हैं। गांव की हर पीढ़ी अगली पीढ़ी को उन वचनों को पूरा करने की सीख देती है।