4 आसान उपायोंके साथ सीखें अंग्रेजी

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 12 जुलाई 2016, 11:55 AM (IST)

कोई भी भाषा सीखने में जहां उसे दूसरे के द्वारा बोला हुआ या लिखा हुआ ठीक-ठीक समझने की जरूरत होती है, वहीं इंटरप्रिटेशन भी ठीक से आना चाहिए याने भाषा की समझ व उसकी अभिव्यक्ति दोनों ही जरूरी हैं।


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भाषा बोलने वालों का माहौल
 अँग्रजी चूँकि हमारे यहाँ आम भाषा नहीं है तो उसका हमें ठीक मातृभाषा की तरह का माहौल तो नहीं मिल सकता, पर बहुत-कुछ वैसा ही हम निर्मित कर सकते हैं। पहले तो चौथी-पाँचवीं कक्षा तक अपनी मातृभाषा का अभ्यास बहुत अच्छा कर लें। इसके बाद ऎसा स्कूल चुनें, जहाँ अंग्रेजी में पढाई होती हो, तो आपको भाषा बार-बार सुनने को मिलेगी। स्कूल से आने पर जब भी टीवी देखें तो अंग्रेजी में चल रहे कार्यRम बार-बार ध्यान से सुनते रहें, भले ही उनकी बातें आप पूरी तरह न भी समझ पाएँ। इसी तरह रेडियो या ट्रांजिस्टर पर भी अंग्रेजी न्यूज पेपर और दूसरे अंग्रेजी के कार्यRम सुनते रहें। याद रखें, भाषा सीखने का पहला कदम सुनते रहने से ही शुरू होता है। हिन्दी न्यूज पेपर के ठीक बाद यदि अंग्रेजी न्यूज पेपर भी टीवी पर उन्हीं दृश्यों के साथ देखेंगे तो निश्चित रूप से आपकी अंग्रेजी की समझ लगातार बढ़ती जाएगी।  

माहौल में सुने हुए सेंटेस को खुद बोलने की प्रैक्टिस
पहले तो सही रिफरेंस में आप सीन देखकर कोई बात सुनेंगे तो नि:संदेह बहुत-कुछ समझ में आएगा। सुने हुए छोटे-छोटे सेंटेंस बने तो नोट कर लें या याद रह जाएँ तो उन्हें बार-बार दोहराएँ। उन्हीं में नामों की जगह अपने घर के लोगों के नाम रखकर वैसे ही और वाक्य भी बोलें। याद रखें, अंग्रेजी भी अन्य भाषाओं की तरह पहले बोलना सीखनी चाहिए, लिखना व पढना बाद में। अपने भाई-बहनों और फ्रेड सर्कल के बीच डिस्कशन में बोलते रहने का अभ्यास बहुत करें। बोलने में थो़डी गलती होगी तो उसकी परवाह न करें, क्योंकि मातृभाषा सीखते समय हमारे घर के बच्चे भी गलती करके सीखते हैं। हाँ, अगर ठीक बोलने में घर के किसी बडे या अंग्रेजी ट्यूटर की भी मदद मिल सकती हो, तो बोलना जल्दी आ सकेगा और गलतियाँ भी कम होती जाएँगी।  

अगर संगीत से प्यार है-
अगर आपको म्यूजिक सुनने का बहुत शौक है तो आप चाहे तो नेट या यूट्यूब पर इंगलिश सॉन्ग सुने या हर शब्द को ध्यान से सुने सिंपल और साफ गीतों के संस्करणों और शब्दों के होने चाहिए। जिससे सुन कर आपको अच्छा फील हो। 

सबसे पहले ग्रामर सींखे
ग्रामर पहले पढकर ही लेंग्वेज सीखी जाती हो, ऎसा नहीं है। हमने अपनी मातृभाषा भी बिना ग्रामर पढे समझने और बोलने की प्रैक्टिस करके ही सीखी थी। ग्रामर भले ही सीधे अंग्रेजी की प्रैक्टिस नहीं कराती, पर वह एक सही स्टेज पर सीखने में भी सहायक होती है और उसकी गलतिया भी दूर करती है। जैसे हम सामान्य रूप से चलना तो बचपन में गिरते-प़डते सीख जाते हैं, पर सैनिक बनना चाहें तो माचिं�ग के लिए हमें नियम-कायदे सीखने ही होते हैं और उसकी प्रैक्टिस भी उतनी ही जरूरी है। इस तरह की ग्रामर वॉकिंग सीखे हुए को माचिं�ग सिखा देती है अत: बोलने प्रैक्टिस करते हुए ग्रामर का भी सहारा लें।

शब्दकोश बढाएं
याद रखें भाषा की नींव शब्दों के साथ-साथ सेंटेंस हैं, पर सेंटेंस शब्दों के सही संयोग से ही बनते हैं तो हम लगातार नए शब्दों को सेंटेंस व सही रिफरेंस में सीखते चले जाएं। किसी शब्द की केवल सही स्पेलिंग और मिनिंग याद कर लेना पर्याप्त नहीं है। उसका सही जगह उपयोग भी आना चाहिए। बेशक डिक्शनरी तो आपके पास होनी ही चाहिए, जिसमें से मिनिंग निकालें और याद करें। शब्दों के अर्थ भी संदर्भ से जुडकर बदलते रहते हैं, तो उन्हें वाक्यों में प्रयोग करना सीखना चाहिए व सही परिस्थिति से जोडकर। तो, शब्द कोश की लगातार बढ़ोतरी से भाषा सीखने में उसी तरह मदद मिलती है जैसे किसी बिल्डिंग बनाने में लगातार मटेरियल लाना ही प़डता है।