महाभारत की ये बातें कर देंगी आपको हैरान

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 28 सितम्बर 2017, 09:56 AM (IST)

हरे कृष्णा हरे रामा, रामा -रामा हरे हरे, भारत का कोना कोना इस भजन से परिचित है। कभी सोचा है कि ऐसी कौन सी बातें है, जिन्हे शायद ही दुनिया श्री कृष्णा के बारे में जानती है, सिवाय एक बात के राधा कृष्णा सच्चे प्रेमी थे। आज हम आपको श्री कृष्णा से जुड़े उन तथ्यों के बारे में बताने जा रहे है, जिन्हे शायद ही आज तक आपने या श्री कृष्णा के किसी भक्त ने सुना होगा।

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जब- जब महाभारत का ज़िक्र किया जाता है, तब -तब द्रौपदी के चीरहरण की बात करी जाती है। शास्त्रों की माने तो महाभारत पांचवा वेद माना जाता है, जिसे वेद व्यास जी ने श्री गणेश जी से बद्रीनाथ में स्थित गुफा में लिखवाया था, आज भी बद्रीनाथ में वो जगह गणेश गुफा और व्यास गुफा के नाम से प्रचिलित है। अमरनाथ की यात्रा के दौरान भक्तजन इन गुफाओं के दर्शन जरूर करते है।

आपने हमेशा राधा-कृष्णा का वर्णन सुना होगा, लेकिन कभी सुना है कि द्रौपदी श्री कृष्णा की प्रेमिकाओं में से एक थी, ऐसा हमारा नहीं बल्कि सूत्र डेली भास्कर डॉट कॉम का मानना है। महाभारत में लिखे गए वर्णन को माना जाए तो, जिस समय पांडव कौरवों से हार गए थे, तो दांव पर लगाने के लिए उनके पास कुछ नहीं बचा था, जिसके लिए द्रौपदी का चीरहरण किया गया। उस समय द्रौपदी ने श्री कृष्णा को कहा कि वे उनकी मदद करें, इसके साथ ही द्रौपदी ने कृष्णा को खुद की मदद करने के 4 कारण बताए।

पहला, द्रौपदी उनके रिश्तेदारों में से एक है, दूसरा उनका जन्म अग्निकुंड में हुआ था , तीसरा वो गौरवशाली है और चौथा वो श्री कृष्णा की प्रेमिकाओं में से एक है।

श्री कृष्णा ने समझा कि द्रौपदी उन्हें एक सच्चे मित्र के तौर पर प्रेम करती है, इसलिए द्रौपदी को आज कृष्णा के नाम से भी जाना जाता है।

द्रौपदी की बातों को सुन, श्री कृष्णा ने उन्हें चिंता न करने का आदेश दिया, चीरहरण करने पर अर्जुन ने द्रौपदी को अपनाने से मना किया तो, अप्सरा उर्वशी प्रकट हुई और अर्जुन को नपुंसक होने शाप दे दिया।

खेल हारकर जब पांचों पांडव जाने लगे तब धृतराष्ट्र ने पुछा कि वे कैसे जा रहे है, तब विदुर ने बताया कि युधिष्ठिर अपनी बंद आँखों के सहारे जा रहा है, भीम अपने हाथों के बल चल रहा है जिससे वक़्त आने पर वे अपने हाथों की ताकत को इस्तेमाल कर सकें, अर्जुन अपनी साथ धुल उड़ाते हुए चल रहा है, जिससे वे अपनी दुश्मनो को मार सके, सहदेव ने खुद के शरीर को मिटटी से लतपत कर रख है, जिससे कोई उन्हें पहचान न सकें, नकुल ने भी खुद की सुंदरता को छुपाने के लिए खुद को मिटटी से ढक रखा है ताकि कोई स्त्री उनको अपना दिल न दे बैठे। सबसे बड़ी बात द्रौपदी ने बस एक कपडा लपेट रखा है और बाल खुले हुए है।

जंगलों में चलते समय जब पांडवो को कई तादाद में ब्राह्मणों ने घेरा, तो युधिष्ठिर को अपनी खाने की चिंता हुई। तब पुरोहित दौम्य ने युधिष्ठिर को कहा कि वे सूर्य देव कि आराधना करें, अराधना करने पर सूर्य देव स्वयं प्रकट हुए और युधिष्ठिर को पीतल का बर्तन दिया और कहा जब तक द्रौपदी इस बर्तन से खाना बांटेगी तब तक इसका खाना खत्म नहीं होगा।