जयपुर। केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गड़करी ने बताया कि राजस्थान को यमुना जल में अपने हिस्से का पूरा 1.119 बिलियन क्यूसेक मीटर (बी.सी.एम.) पानी मिलेगा। विशेषकर ताजेवाला हैड से प्रदेश के झुंझुनूं, चूरू और सीकर जिलों को सिंचाई एवं पेयजल के लिए 1917 क्यूसेक पानी मिलेगा।
गड़करी ने गुरुवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन एनेक्सी में आयोजित अपर यमुना रिव्यु कमेटी की सातवीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह जानकारी दी। बैठक में वर्षों से लंबित मामलों में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। बैठक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री सहित संबंधित राज्यों के जल संसाधन मंत्री एवं वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। राजस्थान की ओर से राज्य के जल संसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप और जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव शिखर अग्रवाल बैठक में मौजूद थे।
केन्द्रीय मंत्री गड़करी ने बताया कि बैठक में लिए गए फैसलों के बाद अब हरियाणा और राजस्थान के बीच कोई विवाद नहीं रहेगा और रेगिस्तान प्रधान राजस्थान को 1994 में पांच राज्यों के मध्य हुए समझौते के अनुसार उसके हक का पूरा पानी मिलेगा।
बैठक के बाद राजस्थान के जल संसाधन मंत्री डॉ. रामप्रताप ने बताया कि यमुना जल के उपयोग के लिए वर्ष 1994 में राजस्थान, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश एवं हरियाणा के मध्य अन्तर राज्यीय समझौता हुआ था। इसके अनुसार राजस्थान को 1.119 बी.सी.एम.जल आवंटित किया गया था। इसमें से 1281 क्यूसेक पानी ओखला हैड से भरतपुर के लिए और वर्ष 2001 में अपर यमुना रिवर बोर्ड द्वारा ताजेवाला हैड से झुंझुनूं, चूरू और सीकर जिलों के लिए 1917 क्यूसेक पानी का आवंटन किया गया था, लेकिन हरियाणा सरकार के लगातार आक्षेप के कारण राज्य को अपने हिस्से का पानी नहीं मिल पा रहा था।
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उन्होंने बताया कि बैठक में लिए गए ऎतिहासिक फैसले में केन्द्रीय जल संसाधन
मंत्री एवं अध्यक्ष अपर यमुना रिव्यू कमेटी द्वारा हरियाणा सरकार के
आक्षेपों को खारिज करते हुए अपर यमुना रिवर बोर्ड द्वारा ताजेवाला एवं ओखला
पर राजस्थान को वितरित जल 3198 क्यूसेक (1.119 बी.सी.एम.) की मात्रा को
सही बताया गया।
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बैठक में ताजेवाला हैड से पाइपलाइन द्वारा राजस्थान
की सीमा में यमुना जल लाने की योजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट
(डी.पी.आर.) बनाने का निर्णय भी लिया गया। इस पर अनुमानित 20 हजार करोड़ रु.
की लागत आएगी। साथ ही इस महत्वपूर्ण परियोजना की क्रियान्विति के लिए
बाह्य वित्तीय संस्थाओं से मदद लेने का फैसला भी किया गया।
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बैठक में
यमुना नदी पर बनने वाले लखवार, किसाऊ एवं रेणुका बांध परियोजनाओ के
निर्माण के बाद भी राजस्थान को 1994 में हुए समझौते के अनुरूप आवंटित जल की
पूरी मात्रा को संरक्षित रखने का निर्णय भी किया गया, जो पानी की कमी वाले
प्रदेश राजस्थान के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
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राजस्थान के जल
संसाधन मंत्री ने बताया कि यह उपलब्धि राजस्थान के हितों के प्रति
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लगातार सजग रहने का ही परिणाम है। उन्होंने
कहा कि ताजेवाला हैड से 1917 क्यूसेक पानी मिलने से प्रदेश के झुंझुनूं व
चूरू जिलों को सिंचाई और सीकर जिले के साथ झुंझुनूं व चूरू जिलों को पेयजल
के लिए भी पानी उपलब्ध होगा।
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