शीर्ष कोर्ट तक में साक्ष्य के रूप में काम आती है वंशावली लेखकों की बही : महेंद्र सिंह राव

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 14 फ़रवरी 2018, 9:28 PM (IST)

बीकानेर। संभाग के सबसे बड़े राजकीय डूंगर महाविद्यालय में बुधवार को वंशावली परम्परा- महत्व विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गोरखपुर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ईश्वरशरण विश्वकर्मा थे। विशिष्ट अतिथि स्व. नरपतसिंह की माताजी सुप्यार कंवर थीं। अध्यक्षता कुलपति प्रो. भागीरथ सिंह ने की। मुख्य वक्ता वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन अकादमी के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह राव बोराज रहे। संचालन डॉ. चन्द्रशेखर कच्छावा ने किया।

इस दौरान डॉ. सुखाराम ने स्व. नरपतसिंह की जीवनी के बारे में सदन को अवगत कराया। विभागाध्यक्ष डॉ. शारदा शर्मा ने छात्रवृत्ति के लिए विभिन्न प्रकार के नियमों की जानकारी दी। उन्होंने स्व. नरपत सिंह राजवी के परिवार के सदस्यों का छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए आभार जताया। स्वागत भाषण में उपाचार्य डॉ. सतीश कौशिक ने महाविद्यालय में चल रही विभिन्न छात्रवृत्तियों की जानकारी दी।

इस अवसर पर वंशावली आयोग के अध्यक्ष महेंद्रसिंह राव ने वंशावली परम्परा के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वंशावली के ज्ञान से मन में आस्था का निर्माण होता है। वंशावली सुनने से हमें अतीत से साक्षात्कार होता है। वंशावली लेखकों की बही उच्चतम न्यायालय तक में साक्ष्य के रूप में काम आती है। उन्होंने राजा परीक्षित एवं दुर्वासा ऋषि का उदाहरण देते हुए उस जमाने में भी वंशावली के उपयोग की जानकारी दी। उन्होंने चीन एवं मॉरिशस में नामकरण के नियमों का भी हवाला दिया। इस अवसर पर बीकानेर के शंकर राव ने पुरानी बहियों को पढ़ने के तरीकों को प्रायोगिक रूप से बताया।

मुख्य अतिथि प्रो. ईश्वरशरण ने नेट, जेआरएफ आदि परीक्षाओं में वंशावली विषय को शामिल करने की महत्ती आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वंशावली इतिहास विषय में शोध का एक अति महत्वपूर्ण अंग है। इस अवसर पर विगत दो सत्रों में इतिहास विषय के साथ उच्च अंक प्राप्त करने वाले स्नातक एवं स्नातकोतर के दस विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।

कुलपति प्रो. भागीरथ सिंह ने कहा कि वंशावली परम्परा को बनाए रखने के लिए ही विश्वविद्यालय के विभिन्न भवनों का नामकरण ऋषि मुनियों एवं नदियों के नाम पर रखा गया है। उन्होंने कहा कि ज्ञान के विकास के बाद ही सभ्यता का विकास हुआ है। वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ. अनिला पुरोहित ने सभी अतिथियों का आभार जताया। डॉ. राजनारायण व्यास ने सभी सदस्यों को कल्याण मंत्र का वाचन करवाया।

इस अवसर पर मीडिया प्रभारी डॉ. राजेन्द्र पुरोहित, डॉ. मीना रानी, कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. उमाकान्त गुप्त, सहायक निदेशक डॉ. दिग्विजय सिंह, डॉ. बजरंग सिंह राठौड़, डॉ. प्रेरणा माहेश्वरी, डॉ. उषा लोमरोड़, डॉ. विक्रमजीत, डॉ. इंद्रा विश्नोई, डॉ. प्रकाश अमरावत, डॉ. श्यामा अग्रवाल, डॉ. जयभारत सिंह सहित संकाय सदस्य एवं स्व. नरपत सिंह के परिजन उपस्थित रहे।


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