जयपुर। सहकारिता के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर उन्हें सशक्त करना हमारी प्राथमिकता है और इसके लिए सहकारी भूमि विकास बैंकों के माध्यम से सर्वांगीण विकास महिला सहकारी समितियों को डेयरी एवं पशुपालन के लिए 5.50 प्रतिशत ब्याज दर से ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा। हमारे इस प्रयास में कोई कमी नहीं होगी।
यह बात सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने बुधवार को नेहरू सहकार भवन स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में महिला सर्वांगीण विकास सहकारी समितियों के वित्तीय सुदृढ़ीकरण, व्यवसाय वृद्धि एवं कड़ी बंधन विषय पर आयोजित कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि जब हम किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ते हैं तो समस्याएं आती हैं, लेकिन हमें घबराना नहीं है, क्योंकि हर समस्या का समाधान है। आप जिस जज्बे के साथ विकास की गाथा रच रही हैं, आप बढ़े चलें, सहकारिता विभाग आपके हर कदम में साथ है।
पुराने नियमों में किया जाएगा सुधार
उन्होंने 17 जिलों में कार्यरत 158 महिला सर्वांगीण विकास सहकारी समितियों के अध्यक्ष एवं व्यवस्थापक महिलाओं से कहा कि यह महिलाओं के जज्बे की कहानी है कि जो इन समितियों के माध्यम से लगभग 1100 करोड़ रुपए का लेन-देन कर रही हैं। इन समितियों को सस्ती दर पर आवश्यकता के अनुसार ऋण मुहैया कराया जाएगा और यदि इस कार्य में नियम आड़े आते हैं तो उन्हें बदलने में हमें किसी प्रकार का गुरेज नहीं है।
महिला समितियों को मिलेंगे 200 करोड़ रुपए के ऋण
सहकारिता मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध है और उनकी सोच के अनुरूप सहकारिता के माध्यम से 200 करोड़ रुपए के ऋण उपलब्ध कराने के लिए राज सहकार महिला कल्याण योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि महिला सहकारी समितियों को बल्क मिल्क कूलर देंगे और ऎसी समितियों का दूध मिड डे मील को सप्लाई में वरीयता दी जाएगी। किलक ने कहा कि गौशालाओं को गोद लेने वाली समितियां अनुदान प्राप्त करने की हकदार होंगी।
सहकारिता से जुड़ेंगी 10 लाख महिलाएं
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प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार सहकारिता अभय कुमार ने कहा कि प्रदेश की
लगभग 5 लाख महिलाओं को सर्वांगीण विकास महिला सहकारी समितियां से जोड़ा जा
चुका है और हमारा लक्ष्य 10 लाख महिलाओं को जोड़कर सहकारिता के दायरे में
लाना है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को आजीविका के साधन मुहैया करवा कर
उन्हें स्वावलम्बी बनाने के लिए बैंकों के एटीट्यूड को परिवर्तित करना
जरूरी है। स्थानीय आवश्यकता एवं परिस्थितियों के साथ-साथ शुरू किए जाने
वाले व्यवसाय के संबंध में पूर्ण जानकारी, उनकी दक्षता एवं उपलब्ध संसाधनों
की जानकारी महत्वपूर्ण है।
महिलाओं का विकास 3 ज से होगा
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कुमार
ने महिलाओं के विकास के लिए 3 ज की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि जमीन,
जानवर और जल से जुड़ने पर आमदनी के साधनों का विकास होगा। उन्होंने कहा कि
महिलाओं को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेना चाहिए, ताकि वे अपने संबंध में
स्वस्थ निर्णय कर सकें। उन्होंने कहा कि सहकारिता में एक-दूसरे का भरोसा कर
आगे बढ़ा जा सकता है।
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कार्यशाला में नाबार्ड, एनसीडीसी, राजीविका,
जीवीटी, आईएफएफडीसी के प्रतिनिधियों ने महिलाओं से संबंधित योजनाओं के
संबंध में जानकारी दी। मंजरी फाउंडेशन के संजय शर्मा ने पीपीटी के माध्यम
से महिलाएं आय को कैसे दुगुनी करें पर प्रजेंटेशन दिया। कार्यक्रम की
शुरुआत में लीला पुरुषोत्तम ने समितियों के पदाधिकारियों को सहकारिता
अधिनियम के बारे में संबंधित दायित्वों एवं कर्तव्यों की जानकारी दी।
कार्यशाला में अतिरिक्त रजिस्ट्रार (द्वितीय) जीएल स्वामी, एमओ आईसीडीपी
राजीव लोचन शर्मा, एमडी अपेक्स बैंक विद्याधर गोदारा, निदेशक राईसेम एसएल
लखानी, अतिरिक्त रजिस्ट्रार (मासवि) शिल्पी पाण्डे, एमडी कॉनफैड रायसिंह
मोजावत, उपनिदेशक राईसेम गुंजन चौबे सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी
उपस्थित थे। कार्यशाला का संचालन नवीन शर्मा उप रजिस्ट्रार राइसेम ने किया।
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