कासिम खान, नूंह। हरियाणा में अब शहर-गांव में कोई गाय बेसहारा सड़कों पर घूमती नजर नहीं
आएगी। इतना ही नहीं अब कोई गाय पॉलीथिन खाती दिखी या फिर भूखी -प्यासी
घूमती नजर नहीं आएगी। सीएम मनोहर लाल खट्टर से लेकर हरियाणा गौसेवा आयोग के
चेयरमैन भानीराम मंगला इसे लेकर पूरी तरह गंभीर दिखाई दे रहे हैं। इसके
लिए आयोग गौशालाओं से लेकर गौभक्तों की मदद लेगा। पत्रकारवार्ता के दौरान
आयोग के चेयरमैन भानीराम मंगला ने ये बात कही।
भानीराम मंगला ने कहा कि आयोग ने वर्ष 2014 - 15 में करीब साढ़े चार करोड़,वर्ष 2016 - 17 में करीब पौने पांच करोड़ तो मौजूदा वर्ष में करीब साढ़े
पांच करोड़ रुपये की राशि गौशालाओं को चारे के लिए दी गई है। उन्होंने कहा
कि नगरपलिकाओं में पांच सदस्य टीम बनाई गई है, जो एम्बुलेंस की मदद से
आवारा गायों को नन्दीशालाओं में भेजा जायेगा। चेयरमैन ने कहा कि भिवानी
जिला 15 दिनों में बेसहारा गायों से मुक्त कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि
मेवात - फतेहाबाद जिले पहले ही बेसहारा गायों से मुक्त है।उन्होंने कहा
कि भिवानी में साढ़े अठाइस लाख रुपये और मेवात में मंगलवार को करीब 12 लाख
रुपये की राशि गौशालाओं को चारे के लिए दी है। चेयरमैन बोले कि जिस गांव की
पंचायत दस एकड़ भूमि देगी उसको 21 लाख रुपये की मदद आयोग देगा ,गांव में भी
नंदीशाला खोली जाएगी।
भाजपा वरिष्ठ नेता मंगला ने कहा कि गायों की जल्द
ही टैगिंग की जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ शहरों में डेरी मालिक दुधारू
गायों को सुबह - शाम छोड़ देते हैं। अगर ऐसी गाय मिली तो शुरू में 5100
रुपये - दूसरी बार में 11 हजार रुपये का दंड होगा। उसके बाद भी गाय नहीं
रुकी तो तीसरी बार गाय ही नहीं दी जाएगी। मंगला ने कहा कि करनाल जेल में
जल्द ही गौशाला खुलेगी , जिसमें करीब 600 गाय होंगी , जिनमें से करीब 200
गाय दुधारू होंगी। जेल में बंद कैदी गायों की सेवा करेंगे।
हरियाणा गौसेवा
आयोग गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए गोबर - मूत्र से कई उत्पाद
बनाएगा। जिससे गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा सके। आयोग बायो गैस प्लांट
की शुरुआत गुरुग्राम से करेगा। इसके लिए अमेरिका की एक कंपनी से एमओयू भी
साइन हो चुका है। आयोग का यह फार्मूला कामयाब रहा तो , 55 बायोगैस प्लांट
हरियाणा की गौशालाओं में लगाने का विचार है। इससे बिजली की पूर्ति की
जाएगी। गौरतलब है कि गौवंश को बचाने के लिए हरियाणा में सबसे बड़ा कानून है।
बावजूद उसके गौहत्या जारी है ,तो गौवंश सड़कों पर बेसहारा घूम रहा है।
नन्दीशालाओं में भी गायों की लगातार मौत हो रही है। सरकार ने गायों को
बचाने और किरकिरी रोकने के लिए ठोस रणनीति बनाई है ,लेकिन यह रणनीति कितनी
कारगर साबित होती है , इसके लिए कुछ इंतजार करना पड़ेगा। कुछ भी हो गौसेवा
आयोग की ताजा रणनीति से एक बार गौवंश फिर चर्चा में है।
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