नेशनल हैंडलूम एक्सपो में साकार हो रही है बंगाल की संस्कृति

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018, 8:05 PM (IST)

जयपुर। अमरूदों के बाग में 11 फरवरी से चल रहे नेशनल हैंडलूम एक्सपो में बंगाल की संस्कृति साकार हो रही है। एक्सपो में बंगाल की तीन बुनकर सहकारी समितियों की स्टॉलों पर शांति निकेतन की कांथा हैंडवर्क, टसर सिल्क, पारसी वर्क, हैंडलूम और खादी कॉटन के आइटमों पंसद किए जा रहे हैं।

पं. बंगाल की गोलापारा हैंडलूम सोसायटी की प्रतिनिधि पियाली सरकार ने कांथा वर्क के बारे में बताया कि शांति निकेतन में गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर के समय से यह हैंडलूम डिजाइन विकसित की गई है। इसमें पूरा काम हाथ से होता है। कांथा हैंडवर्क में टेंपल टच देखा जाता है, वहीं बंगाल में साड़ी पर उल्लू के डिजाइन को लक्ष्मी का प्रतीक मानते हुए खूब पसंद किया जाता है। पारसी वर्क में फ्लोरल टच होता है, वहीं तांत की साड़ियों में बुनाई में ही डिजाइन दी जाती है। जरी बोर्डर की बंगाली साड़ियां और खादी कॉटन व हैंडलूम की साड़ियां भी जयपुरवासियों को पसंद आ रही हैं।

कांथा वर्क की साड़ियां 800 से 5400 की रेंज में हैं, वहीं पारसी वर्क की साड़ियां 800 से 6400 की रेंज में, हैंडलूम बहाव की साड़ियां 900 से 18 हजार की रेंज की मेले में प्रदर्शित की गई हैं। खादी कॉटन में गमछा चैक की साड़ियां एक हजार की रेंज में हैं। बंगाल के ड्रेस मेटेरियल व सूट पीस आदि 200 से 900 की रेंज में उपलब्ध हैं। पियाली ने बताया कि हैंडलूम एक्सपो में 20 प्रतिशत की छूट दी जा रही है।

नेशनल उद्योग एक्सपो का केन्द्र सरकार के वस्त्र मंत्रालय के सहयोग से आयोजन किया गया है और राजस्थान सहित दस प्रदेशों की बुनकर समितियां इस एक्सपो में अपने हैंडलूम उत्पाद प्रदर्शित कर रही हैं। एक्सपो में बुनकर संघ, राजस्थान हैंडलूम, रुडा और ट्राइफैड के परिधानों को भी उत्साहजनक रेस्पांस मिल रहा है।




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उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक एसएस शाह ने बताया कि एक्सपो में 60 पेवेलियनों में देश का हैंडलूम समाहित है। चिम्मन लाल वर्मा ने बताया कि अवकाश का दिन होने से एक्सपो में अच्छी खरीदारी देखी गई। एक्सपो में निधि शर्मा, रवीश कुमार, सुभाष शर्मा, रवि गुप्ता, डीएन माथुर, त्रिलोक, अशोक शर्मा आदि की टीम समन्वय कर रही है।


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