पंजाब बाल अधिकार सुरक्षा आयोग का निर्देश, बाल भीख मुक्त हो प्रदेश

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 11 जनवरी 2018, 7:25 PM (IST)

चंडीगढ़। राज्य बाल अधिकार सुरक्षा आयोग ने आज राज्य के समूह जि़ला बाल अधिकार अधिकारियों को अद्र्ध-सरकारी पत्र जारी करके राज्य को बाल भीख मुक्त करने के आदेश दिए हैं।
इस संबंधी जानकारी देते हुये राज्य बाल अधिकार सुरक्षा आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि आयोग के सचिव के.एस.पन्नू के हस्ताक्षित जारी किये गए इस अद्र्ध- सरकारी पत्र द्वारा सम्बन्धित जि़ला बाल अधिकार अधिकारियोंं को कहा गया है कि वह अपने जि़ले के डिप्टी कमिशनरों की सहायता के साथ अपने अधीन आते क्षेत्र को बाल भीखारियों से मुक्त करने के लिए तुरंत प्रभावी कदम उठाएं।
पंजाब बाल भीख नियंत्रण एक्ट 1971 की धारा 9 अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे को भिक्षा मांगने के काम में लगाता है, या भिक्षा लेने के लिए उकसाता है, या बच्चा दिखा कर भिक्षा मांगता है उसे तीन वर्ष तक कैद हो सकती यह सज़ा कम से कम एक वर्ष तक है।

प्रवक्ता ने बताया कि उपरोक्त एक्ट के अलावा भारत सरकार ने साल 2015 में जे. जे. एक्ट 2015 (जुवेनाईअल जस्टिस -केयर एंड प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन एक्ट 2015) द्वारा यह स्पष्ट किया है कि यदि कोई बाल लेबर लॉ का उल्लंघन जबरन करते हुए जा भिक्षा मांगता पाया जाता है जा फिर सडक़ पर रहता है तो उसके पुन:निवास और उसको उसके मां पिता को सौंपने या न सौंपने संबंधी धारा 29(1) अनुसार जि़ला स्तरीय बाल अधिकार समिति की तरफ से आगामी कार्यवाही की जायेगी।

इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति किसी बाल को भिक्षा मांगने के काम में लगाता है या बालक को भिक्षा मांगने के तौर पर इस्तेमाल करता है उसको 5 साल की कैद और एक लाख रुपए जुर्माना भी हो सकता है। इस के अलावा यदि भिक्षा मंगवाने के मकसद के साथ किसी बालक को अद्धमर्या या अपंग करते हैं तो उसको कम से कम 7 साल की सख्त सज़ा और अधिक से अधिक 10 साल की सज़ा की जा सकती है और साथ ही 5 लाख का जुर्माना भी किया जा सकता है।


प्रवक्ता ने बताया कि इतने सख्त कानून लागू होने के बावजूद राज्य में बाल भीख की बीमारी बरकरार है इस लिए राज्य को बाल भीख से मुक्त करने के लिए जि़ला स्तरीय समितियों का गठन करने के लिए निर्देश भी दिए गए हैं।


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