जयपुर। केंद्रीय
संसदीय कार्य मंत्रालय वर्ष 1952 से अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन का आयोजन कर रहा है
और मंत्रालय द्वारा 18वें अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन का आयोजन 8 और 9 जनवरी 2018
को राजस्थान सरकार के साथ संयुक्त रूप से होटल रेडिसन ब्लू, उदयपुर में किया जा रहा है ।
एक संसदीय लोकतन्त्र में सचेतकों की अपनी
अनोखी भूमिका और जिम्मेदारियां हैं और ये सबसे महत्वपूर्ण पदधारी है जिनकी सदन
प्रबंधन और अपने-अपने विधि निर्माताओं को अनुशासित करने में केंद्रीय भूमिका होती
है । सचेतक तंत्र की जड़ें ब्रिटिश संसदीय प्रणाली में है और भारतीय परिदृश्य में, भारतीय संसदीय लोकतन्त्र के क्रमिक
विकास में सचेतकों का वास्तविक और प्रशंसनीय योगदान रहा है ।
सम्मेलन तीन मदों पर विचार-विमर्श करेगा
जिनमें (i) गोवा और विशाखापट्टनम में
क्रमश: वर्ष 2014 और 2015 के दौरान आयोजित पिछले दो सचेतक सम्मेलनों की सिफ़ारिशों
पर अनुवर्ती कार्रवाई रिपोर्ट, (II)
विधायिका का कुशल कार्यचालन और (III) राज्य विधानमंडलों का डिजिटलीकरण करने और उनके कार्यचालन को कागज रहित बनाने के लिय- ईविधान- शामिल है।
केंद्रीय संसदीय कार्य और रसायन एवं उर्वरक
मंत्री, अनंतकुमार, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, संसदीय कार्य राज्य मंत्री, अर्जुन राम मेघवाल
और विजय गोयल झीलों की नगरी, उदयपुर में देश के सभी
राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से आने वाले प्रतिनिधियों का अभिनंदन और स्वागत
करेंगे। सरकारी पर्यवेक्षकों के अलावा विभिन्न मान्यताप्राप्त राजनीतिक
दलों/समूहों के 100 से ज्यादा प्रतिनिधियों द्वारा सम्मेलन में भाग लेने की
संभावना है। अगले दो दिन विभिन्न दलों के अनुभवी लोगों
के समागम को देखने के लिए निर्धारित है जो भारत में संसदीय तंत्र की मजबूती में योगदान
करेंगे ।
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