मलाइका अरोड़ा खान ने कहा, यह मेरे लिए आसान काम नहीं था

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 13 दिसम्बर 2017, 1:41 PM (IST)

नई दिल्ली। अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा खान का कहना है कि वे ऐसे घर में पली-बढ़ी हैं, जहां उन्हें हमेशा से खुद को स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्त करना सिखाया गया है और यही उम्मीद वे दूसरों से करती हैं। मलाइका के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पुरुषों और महिलाओं, दोनों के लिए जरूरी है और उन्हें लगता है कि अगर महिलाओं को एक-दूसरे को प्रेरित करना शुरू कर दें, तो परिवर्तन जरूर होगा।

उन्होंने कहा, आपने सुना होगा कि महिलाएं, महिलाओं की सबसे बड़ी दुश्मन होती हैं। एक महिला दूसरी महिला को नीचा दिखाने की कोशिश करती है, इसलिए मुझे लगता है कि यह जरूरी है कि महिलाओं को एक-दूसरे को प्रेरित करना चाहिए। खुद से जुड़ी एक घटना को साझा करते हुए मलाइका ने बताया, मुझे एक घटना याद है, जब मेरे बच्चे के पैदा होने के बाद मैं फिर से फिट होने की तैयारी कर रही थी।

यह मेरे लिए आसान काम नहीं था, यह एक चुनौती थी। मुझे लगता है कि हर मां को इस दौर से गुजरना करना पड़ता है, लेकिन अच्छी बात यह थी कि मेरे आस-पास के लोग मुझे प्रेरित करते थे और मुझे बेहतर करने के लिए मजबूर करते थे और मुझे लगता है कि यह वास्तव में मदद करता है। एक बच्चे की मां मलाइका अभी भी एकदम फिट हैं। वे रीबॉक फैशनेबली फिट फैमिली का हिस्सा हैं और उन्होंने ब्रैंड के फिटटूफाइट 2.0 अवॉड्र्स में भी शिरकत की थी। यह ब्रांड अपने जुनून और साहस के लिए नामांकित महिलाओं को सम्मानित कर रहा है।

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मलाइका ने कहा कि फिटटूफाइट उनका एक दृष्टिकोण है। वे कहती हैं, फिट रहने का मतलब जिम में पसीना बहाना, वेट उठाना या भारी-भारी व्यायाम करना नहीं है। यह जीवन जीने का तरीका है। यह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से संबंधित है। मेरे लिए फिटनेस पूजा है क्यूंकि यह मेरे मस्तिष्क, शरीर और आत्मा को सुकून देता है।

महिलाओं के अधिकारों को लेकर अभिनेत्री का कहना है कि इतने सारी चीजें हैं जिन पर विचार किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, "कई मुद्दे हैं, जिनसे हम महिलाओं का हर रोज सामना होता है। मुझे लगता है कि अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना, अपने अधिकारों के लिए लड़ाई करना और खुद के मन-मस्तिष्क से बात करना जरूरी है, क्योंकि मुझे लगता है कि हमारे अंदर कहीं एक ऐसा बड़ा हिस्सा है, जो दबा हुआ है।

हम बात नहीं करते हैं और उसे बाहर नहीं निकालते हैं और कभी-कभी खुद से कहते हैं कि जाने दो, भूल जाओ..यह गलत है। हमें इस व्यवहार को बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि और यही कारण है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूरी है। उन्होंने आगे कहा, यह कुछ ऐसा है जो हमारा अधिकार है। यह हमारा मौलिक अधिकार है। सौभाग्य से मेरी परवरिश ऐसे घर में हुई, जहां हमें हमेशा से खुद को अभिव्यक्त करना सिखाया गया और उसके लिए प्रोत्साहित किया गया।

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