चित्रकूट की हार से सदमे में शिवराज, किसानों को 10 घंटे बिजली देने का वादा किया

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 13 नवम्बर 2017, 1:17 PM (IST)

भोपाल|रविवार को चित्रकूट में मिली हार के बाद शिवराज चौहान सदमे में है,अपनी घटती लोकप्रियता को बचाने के लिए शिवराज सरकार ने किसानों को खुश करने की कवायद शुरू कर दी है।


मध्य प्रदेश सरकार की ओर से किसानों को रबी के मौसम में 10 घंटे बिजली देने का दावा किया जा रहा है। इतना ही नहीं दावा तो यह भी किया जा रहा है कि इतिहास में पहली बार बिजली की आपूर्ति 11,466 मेगावाट से ऊपर पहुंच गई है।

आधिकारिक तौर पर जारी ब्योरे के अनुसार, राज्य में बिजली क्षेत्र में इस वर्ष नवंबर में ही बिजली की मांग में रोज नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। इतिहास में पहली बार बिजली की मांग 11,466 मेगावाट से ऊपर पहुंच गई।

बिजली की मांग बढ़ने का मुख्य कारण रबी मौसम में किसानों को 10 घंटे गुणवत्तापूर्ण एवं निर्बाध बिजली की आपूर्ति कराना है।

यह भी कहा जा रहा है कि सभी बिजली उपभोक्ताओं को रोशनी के लिए 24 घंटे बिजली की सतत सप्लाई भी की जा रही है। प्रदेश में 11 नवंबर को सुबह नौ बजे से बिजली की मांग का ऐतिहासिक रिकॉर्ड उस समय बना, जब बिजली की मांग 11,466 मेगावाट के स्तर पर पहुंच गई।

बताया गया है कि बिजली की मांग दिसंबर माह में निरंतर बढ़ती रही है लेकिन इस वर्ष प्रदेश में कम वर्षा होने के कारण करीब डेढ़ माह पूर्व ही बिजली की मांग और आपूर्ति में निरंतर इजाफा हो रहा है। पिछले छह दिन से बिजली की मांग 11,000 मेगावट से ऊपर पहुंच गई।

ऊर्जा विभाग के आधिकारिक ब्योरे के मुताबिक, बिजली की आपूर्ति में पावर जेनरेटिंग कंपनी के ताप विद्युतगृहों से 1,950 मेगावाट और जल विद्युतगृहों से 345 मेगावाट, इंदिरा सागर-सरदार सरोवर-ओंकारेश्वर जल विद्युत परियोजना से 296 मेगावाट, एनटीपीसी और डीवीसी (सेंट्रल सेक्टर) से 2,895 मेगावाट, सासन अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट से 1,333 मेगावाट, आईपीपी का हिस्सा 1,310 मेगावाट रहा और बिजली बैंकिंग से 2,117 मेगावाट बिजली प्राप्त हुई। अन्य नवकरणीय स्रोत से 1,218 मेगावाट बिजली मिली।

राज्य में कार्यरत बिजली कंपनियों के क्षेत्र में मांग अलग-अलग रही। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (जबलपुर, रीवा तथा सागर) में बिजली की मांग 2,871 मेगावाट, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (भोपाल एवं ग्वालियर) में 3,716 मेगावाट और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी (इंदौर एवं उज्जैन) में 4,878 मेगावाट दर्ज की गई है।

आईएएनएस

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