योगेन्द्र शर्मा
जयपुर। राजस्थान वासियों बधाई हो आपको! डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी है। अब डाक्टर साहब काम पर लौट आएंगे। अब सरकारी अस्पताल में मरीजाें को अच्छे से इलाज मिलेगा। और हां, एक बात और, सेवारत डॉक्टरों के संघ ने अपन लोगों से माफी भी मांगी है। कहा है कि हड़ताल के दौरान हुई असुविधा के लिए सार्वजनिक रूप से
माफी मांगते हैं।
प्रदेशवासियो! डॉक्टरों की मांगें भी वही थीं और सरकार भी वही। अब क्या हो गया कि सरकार को डॉक्टरों की मांगें माननी पड़ गईं। 7 दिन तक प्रदेश की जनता परेशान होती रही। इसका हिसाब कौन देगा। हड़ताल खत्म कराने में सरकार को शाबासी दी जानी चाहिए या इनको कोसा जाना चाहिए। इलाज के अभाव में 7 दिन तक जनता ने जो आंसू बहाए हैं, उसका हिसाब डॉक्टरों के माफी मांगने से नहीं चुक जाता। 30 से ज्यादा मौत हुई हैं प्रदेश में। ये मौत नहीं, हत्या कही जानी चाहिए। इनका हिसाब तो तन-मन-धन से रात-दिन मरीजों की सेवा में जुट जाएं, तब भी नहीं चुकेगा। यह तय करना होगा कि अब भविष्य में कभी हड़ताल नहीं करेंगे, तब भले ही चुकता हो जाए।
सवाल अब भी वही है-जैसे सकारात्मक माहौल में रविवार को बातचीत हुई, वैसी तो पहले भी हो सकती थी। डॉक्टरों की वो 33 मांगें, वही सरकार, इन पर सहमत होने में सरकार को 7 दिन कैसे लगे गए। यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है।
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