देश में समान बैंकिंग सुविधा मौजूद, इसलिए नहीं लाएंगे इस्लामिक बैंक:RBI

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 12 नवम्बर 2017, 4:54 PM (IST)

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने साफ कर दिया है कि वह देश में इस्लामिक बैंक नहीं लाएगा। आरबीआई ने कहा कि सभी नागरिकों को बैंकिंग और अन्य वित्तीय सेवाओं की विस्तृत और समान अवसर की सुलभता के मद्देनजर यह फैसला लिया गया। आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि भारत में इस्लामिक बैंक लाने के मुद्दे पर रिजर्व बैंक और सरकार ने विचार किया था और फैसला किया कि इस्लामिक बैंक नहीं लाया जाएगा। इस्लामिक या शरिया बैंकिंग ऐसी वित्तीय व्यवस्था है जो सूद नहीं लेने के सिद्धांत पर चलती है क्योंकि सूद लेना इस्लाम में हराम है।

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सभी परिवारों को व्यापक वित्तीय समावेशन के दायरे में लाने के लिए 28 अगस्त 2014 को एक राष्ट्रीय मिशन जन धन योजना की लॉन्चिंग की थी। 2008 के आखिर में आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन के नेतृत्व में वित्तीय क्षेत्र में सुधारों को लेकर एक समिति का गठन किया गया था। इसी कमिटी ने देश में ब्याज मुक्त बैंकिग प्रणाली के मुद्दे पर गंभीरता से सोचने की जरूरत पर जोर दिया था।

कमिटी ने कहा, कुछ धर्म ब्याज लेने-देने वाले वित्तीय साधनों के इस्तेमाल को नाजायज ठहराते हैं। ब्याज मुक्त बैंकिंग प्रॉडक्ट्स नहीं होने की वजह से कुछ भारतीय धर्म के कारण बैंकिंग प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इनमें समाज की आर्थिक रूप से पिछड़ी आबादी भी शामिल है। बाद में केंद्र के निर्देश पर आरबीआई में आईडीजी गठित कर दिया गया।

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इस ग्रुप ने देश में ब्याज मुक्त बैंकिंग प्रणाली शुरू करने के कानूनी, तकनीकी और नियामकीय पहलुओं की जांच कर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। आरबीआई ने पिछले साल फरवरी में आईडीजी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को भेजी थी। रिपोर्ट में बैंकिंग सिस्टम शुरू करने के लिहाज से तत्काल परंपरागत बैंकों में ही एक इस्लामिक विंडो खोलने का सुझाव दिया था। लेकिन, अब आरबीआई ने इस्लामिक बैंक नहीं लाने का फैसला लिया है।

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