गुरू गोबिन्द सिंह के 350वें प्रकाशोत्सव के मौके पर जगाधरी अनाज मंडी में राज्य स्तरीय समारोह

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 12 नवम्बर 2017, 4:19 PM (IST)

चंडीगढ़।गुरू गोबिन्द सिंह के 350वें प्रकाशोत्सव के मौके पर जगाधरी अनाज मंडी में आयोजित राज्य स्तरीय समापन समारोह में प्रदेश के विभिन्न जिलों से 9 गत्तका दलों ने संगतों को हैरतअंगेज करतबों से मंत्रमुग्ध कर दिया। इस प्रतियोगिता का उदघाटन रादौर के विधायक श्याम सिंह राणा ने किया। राणा ने इस मौके पर कहा कि सिख इतिहास कुर्बानियों से भरा हुआ है और सभी सिख गुरूओं ने बिना धार्मिक और जातपात के भेदभाव से धर्म की रक्षा के लिए लम्बा संघर्ष किया है। भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की रक्षा में सिख गुरूओं का महत्वपूर्ण योगदान है।

प्रतियोगिता का संचालन और गत्तका युद्व कला के कोच इन्द्रपाल सिंह ने बताया कि सिख धर्म में गत्तका युद्व कला और शस्त्र विद्या का विशेष महत्व है। इस कला की शुरूआत छठे गुरू श्री हरगोबिन्द सिंह साहिब ने मीरी-पीरी सिख सिंद्वात के तहत की थी। जब मुगल सम्राट ने पांचवे गुरू श्री गुरू अर्जुनदेव जी को तत्ती तवी पर बिठाकर शहीद किया था, उसके बाद गुरू गद्दी पर विराजमान होने के बाद गुरू हरगोबिन्द साहिब ने भक्ति के साथ शक्ति के प्रयोग के लिए मीरी-पीरी का सिंद्वात दिया था। इससे पूर्व सिख धर्म के 5 गुरूओं केवल धर्म प्रचार को ही प्रमुखता दी थी।

गत्तका कला में लाठी, जंमदार, कृपाण, काती, चक्र, गोला, टीटी सुधार, मल्धी, दल कृपाण, गंडासी इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। इस कला में दूसरे प्रतिभागियों पर हमला करने के साथ-साथ आत्मसुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। इस प्रतियोगिता में मीरी-पीरी सिख आर्टस अम्बाला, डीएसएस, गत्तका अखाडा पिंजौर, दशमेश गत्तका अखाडा यमुनानगर, मीरी-पीरी गत्तका बराडा, रामगढिया गत्तका अखाडा पानीपत, खालसा खास गत्तका अखाडा शाहबाद, गुरमीत अखाडा करनाल, अमर शहीद बाबा दीप सिंह गत्तका अखाडा नीलोखेडी और वीररस गत्तका अखाडा पेहवा की टीमों के लगभग 200 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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