नई दिल्ली। सूर्य उपासना का महापर्व छठ का आगाज आज नहाय खास के साथ शुरू हो
जाएगा। आपको बता दें कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी
की तिथि तक भगवान सूर्यदेव की अटल आस्था का पर्व छठ पूजा मनाया जाता है।
नहाय खाय के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत हो जाती है। चार दिन
तक चलने वाले इस आस्था के महापर्व को मन्नतों का पर्व भी कहा जाता है।
इसके महत्व का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसमें किसी गलती के
लिए कोई जगह नहीं होती इसलिए शुद्धता और सफाई के साथ तन और मन से भी इस
पर्व में जबरदस्त शुद्धता का ख्याल रखा जाता है।
34 साल बाद बन रहा है महासंयोग-
छठ
महापर्व मंगलवार 24 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। पहले दिन मंगलवार की गणेश
चतुर्थी है। पहले दिन सूर्य का रवियोग भी है। ऐसा महासंयोग 34 साल बाद बन
रहा है। रवियोग में छठ की विधि विधान शुरू करने से सूर्य हर कठिन मनोकामना
भी पूरी करते हैं। चाहे कुंडली में कितनी भी बुरी दशा चल रही हो, चाहे
शनि-राहु कितना भी भारी क्यों ना हों, सूर्य के पूजन से सभी परेशानियों का
नाश हो जाएगा। ऐसे महासंयोग में यदि सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हवन किया
जाए तो आयु बढती है।
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इस साल छठ की तिथियां:-
24 अक्टूबर 2017 (चतुर्थी) : नहाय-खाय
25 अक्टूबर 2017 (पंचमी) : खरना
26 अक्टूबर 2017 (षष्ठी) : शाम का अर्घ्य
27 अक्टूबर 2017(सप्तमी) : सुबह का अर्घ्य, सूर्य छठ व्रत का समापन
नहाय खाय की विधि और इससे जुड़ीं सावधानियां
नहाय-खाय विधि:-
- नहाय खाय के दिन सूर्योदय का समय है सुबह 6 बजकर 27 मिनट।
-
सबसे पहले घर की पूरी साफ-सफाई कर लें। सुबह नदी तालाब, कुआं या चापा कल
में नहा कर शुद्ध साफ वस्त्र पहनते हैं। अगर घर के पास गंगा जी हैं तो नहाय
खाय के दिन गंगा स्नान जरूर करें। यह बहुत ही शुभ होता है।
- छठ करने वाली व्रती महिला या पुरुष चने की दाल और लौकी शुद्ध घी में सब्जी बनाती है। उसमें सेंधा शुद्ध नमक ही डालते हैं।
- बासमती शुद्ध अरवा चावल बनाते हैं। गणेश जी और सूर्य को भोग लगाकर व्रती सेवन करती हैं।
- घर के सभी सदस्य भी यही खाते हैं।
-
घर के सदस्य को मांस मदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना। रात को भी घर के
सदस्य पूडी सब्जी खाकर सो जाते हैं। व्रत रखने वाली महिला या पुरुष जमीन पर
सोते हैं।
- अगले दिन खरना मनाया जाएगा।
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इन बातों का रखें ख्याल:-
- नहाय खाय के दिन व्रती को हमेशा साफ सुथरे और धुले कपड़े ही पहनना चाहिए।
- नहाय खाय से छठ समाप्त होने तक व्रती महिला और पुरुष को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए।
- घर में भूलकर भी मांस मदिरा का सेवन न हो।
- साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। पूजा की किसी भी वस्तु को जूठे या गंदे हाथों से ना छूएं।
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कौन है छठ देवी और क्यों होती है पूजा-
मान्यता
है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए
जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें
साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां
गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर ( तालाब ) के किनारे यह पूजा की
जाती है। षष्ठी मां यानी कि छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं।
इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है और इसलिए छठ पूजा
की जाती है।
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