सोनीपत।हरियाणा
के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि जीवन में कोई भी चीज
टेढ़ी खीर नहीं है और अगर है भी तो पुरुषार्थ के जरिए हम उसे सीधा कर सकते
हैं। यह इंसान का पुरुषार्थ ही है जिसमें समस्या का समाधान कर सकते हैं और
जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। सोलंकी मंगलवार को मोतीलाल नेहरू खेलकूद
स्कूल राई में प्रेरणादायक संगीत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर
रहे थे। इससे पहले उन्होंने स्कूल के बच्चों के साथ दोपहर का भोजन भी किया।
सोलंकी ने कहा कि हरियाणा को उसकी कई बातों के लिए जाना
जाता है। यहां कुरुक्षेत्र है और यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान
दिया। यह गीता का ज्ञान समय की सीमा में नहीं बांधा जा सकता और जब तक
सृष्टि है तब तक यह ज्ञान सार्थक रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत उपनिषदों के
लिए जाना है और इन उपनिषदों की रचना भी हरियाणा में सरस्वती नदी के किनारे
ही हुई। उन्होंने कहा कि आज हरियाणा का नाम खेल, शिक्षा से लेकर हालीवुड और
बालीवुड तक हर जगह गूंज रहा है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान
में हरियाणा की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि कभी लिंगानुपात में
हरियाणा सबसे बदनाम था और यहां से जब प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी ने इस
अभियान की शुरूआत की तो लिंगानुपात 830 से बढक़र 909 हो गया और जल्द ही यह
950 भी होगा। उन्होंने कहा कि मोतीलाल नेहरू खेलकूद स्कूल राई भी हरियाणा
की पहचान रहा है और अपने बेहतरीन प्रदर्शन के लिए पूरे देश में इसका नाम
है।
बच्चों को उनके शैक्षणिक व खेलों के क्षेत्र में उपलब्धियों
पर बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि स्कूल को और अधिक बेहतर बनाने में सरकार
कोई कसर नहीं छोड़ेगी। यहां पर स्कूल को स्पोटर्स यूनिवर्सिटी के तौर पर
स्थापित करने का कार्य भी किया जा रहा है।
इससे पहले
अंतरराष्ट्रीय कमेंटेटर परमजीत सहरावत ने एक अनोखे व अविस्मरणीय
प्रेरणादायक संगीत समारोह का आयोज किया। स्कूल की निदेशक एवं प्रधानाचार्य
भारती अरोड़ा ने पूरे स्कूल परिवार की तरफ से मुख्य अतिथि का स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि स्कूल के बच्चों के स्र्वांगीण विकास के लिए इस तरह के
कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने स्कूल का रिपोर्ट
कार्ड भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों
के जरिए भी सभी का मन मोहा। स्कूल की निदेशक एवं प्रधानाचार्या भारती
अरोड़ा व उप प्रधानाचार्या मौसमी घोषाल ने मुख्य अतिथि व पदमजीत सहरावत को
स्मृति चिन्ह भेंट किए।
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