बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि थे महंत चांदनाथ

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 17 सितम्बर 2017, 09:57 AM (IST)

अलवर/जयपुर। महंत चांद नाथ का शनिवार आधी रात बाद निधन हो गया। वे भले ही आज हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनके द्वारा किए गए पुनीत कार्याें से वे सदा हमारे बीच रहेंगे। महंत चांद नाथ का जन्म 21 जून 1956 को दिल्ली के बेगमपुर गाँव में संपन्न किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता मोहर सिंह तथा माता चंपा देवी की चांद नाथ पहली संतान थे। 7 भाई-बहनों में वे सबसे बड़े व कुशाग्र बुद्धि थे। इस तेजस्वी पुत्र का नाम माता-पिता ने चांदराम रखा था। उन्होंने 1978 में नाथ सम्प्रदाय की दीक्षा ग्रहण की।

महंत चांदनाथ 18 साल की उम्र में नाथ साधु बने और हठ योग को प्रोत्साहित करते रहे। विद्याम जन सेवानाम के लक्ष्य के साथ 50 से अधिक व्यावसायिक पाठयक्रमों के साथ निजी विश्वविद्यालय की शुरुआत की।

महंत चांदनाथ ने हिंदू कॉलेज दिल्ली से बीए आॅनर्स की डिग्री प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। स्नातक के बाद 21 जनवरी 1978 (महाचौदस) के दिन महंत श्रेयोनाथजी से दीक्षा प्राप्त की। महंत श्रेयोनाथजी के आदेश पर हनुमानगढ़ के थेहडी जाकर वहां का कार्यभार संम्भाला। उन्होंने अपनी विशिष्ट कार्यशैली व विशिष्ट व्यक्तित्व के द्वारा बाबा मस्तनाथजी की परंपरा को आगे बढ़ाया और मठ के संरक्षक बने। नाथ साहित्य प्रेमी एवं संरक्षक योगी महंत चांदनाथ जी को साहित्य से काफी लगाव रहा है। वे नाथ परंपरा के साहित्य संरक्षक की भूमिका का निर्वहन किया।

खराब स्वास्थ्य के चलते उन्हाेंने शुक्रवार को साधु सन्तों की मौजूदगी में बालकनाथ को अस्थल बोहर मठ का उत्तराधिकारी चुन लिया। मठ में हुए समारोह में चांदनाथ ने बालकनाथ को मठ का उत्तराधिकारी घोषित करने की रस्में पूरी की गईं।

राजनीतिक सफर

महंत चांदनाथ 2004 में राजस्थान विधानसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी के बहरोड से विधायक निर्वाचित हुये। वे 2014 में भाजपा के राजस्थान के अलवर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गये।


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