गेहूं और धान के अवशेषों को जलाने वालों पर रहेगी प्रशासन की नजर,जानें कैसे ?

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 16 सितम्बर 2017, 2:18 PM (IST)

करनाल। उपायुक्त डा०आदित्य दहिया ने कहा कि जिला प्रशासन ने गेहूं व धान के फानों/अवशेषों के जलाने की रोकथाम के लिए पूरी तरह से कमर कस ली है। कृषि विभाग के साथ-2 अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये गए है कि इस बार जिला में फसलों के अवशेष विशेष तौर पर पराली को कहीं पर भी ना जलने दें तथा दोषियों के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाए। फसलों के अवशेषों को जलाने की रोकथाम को लेकर धारा-144 भी लागू कर दी गई है।


यह जानकारी उपायुक्त डा०दहिया ने शुक्रवार को नीति आयोग भारत सरकार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद दी। उन्होंने बताया कि गेहूं व धान के फानों/अवशेषों को जलाना पर्यावरण प्रदूषण कंट्रोल एक्ट का उल्लंघन है। इसमें ईपीसी एक्ट 1981 की धारा 188 के तहत सजा व जुर्माना भी हो सकता है। अगर कोई पराली जलाता हुआ पाया जाता है तो संबंधित व्यक्ति से दो एकड़ भूमि तक 2500 रूपये,दो एकड़ से पांच एकड़ भूमि तक 5000 रूपये तथा पांच एकड़ से ज्यादा भूमि पर 15 हजार रूपये का जुर्माना लगाया जाएगा तथा दोषी के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने जिला के किसानों से अपील की है कि वे फसलों के अवशेष ना जलाएं और ना ही दूसरों को जलाने दें। यदि कहीं पर भी पराली जलती हुई नजर आए तो इसकी फोटो खींचकर तुरंत कृषि विभाग को भेजे। उन्होंने यह भी कहा कि किसान नई तकनीकों का प्रयोग करते हुए फसल अवशेष प्रबंधन उपाये अपनाएं,पर्यावरण को प्रदूषण से बचाए तथा भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं। इस मौके पर एसडीएम करनाल योगेश कुमार,एसडीएम घरौंडा वर्षा खांगवाल तथा उप-कृषि निदेशक डा० प्रदीप मील उपस्थित थे।

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