मोबाइल आतंक: बम के बाद अब मोबाइल, इंटरनेट गेम से दहशत

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 16 सितम्बर 2017, 11:59 AM (IST)

खास खबर
जयपुर।
आतंकी पहले बम धमाके कर आतंक फैलाते थे। पिछले दिनों दुनिया के सबसे खतरनाक विस्फोटकों में से एक PETN को यूपी विधानसभा तक पहुंचा दिया गया। अब लगभग हर हाथ में विस्फोटक है। यहां हम मोबाइल इंटरनेट गेम की बात कर रहे हैं।

"मोबाइल आतंक" ने ब्लू व्हेल गेम के रूप में पूरे देश को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। राजस्थान भी इससे अछूता नहीं रहा। जयपुर और जोधपुर में कई मामले इस गेम के सामने आए। कई जिलों में गेम खेलने के कई मामले हुए। स्कूल में या अभिभावकों की सतर्कता से बच्चों को प्रारंभिक स्टेज में ही इस सुसाइड गेम से दूर कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक कई जिलों में इस तरह के मामले हुए हैं, लेकिन उनकी कोई रिपोर्ट नहीं हैं। न तो पुलिस में और न मीडिया में इस तरह के मामले आने से लोगों को पता नहीं चल सके, इन मामलों को घरेलू स्तर पर ही थाम दिया गया।

अब एेसा ही एक और मामला जयपुर में सुनने को मिला। जयपुर के मालवीय नगर स्थित एक एक स्कूल में टीचर की सतर्कता से दो बच्चों की जिंदगी बच गई। उन बच्चों के पैरेंट्स को स्कूल बुलाकर सूचना दी गई।

दरअसल स्कूल टीचर ने बच्चों के हाथ पर ब्लेड से कट का निशान देख लिया। बच्चों से इस बाबत बात की गई। बातों में ब्लू व्हेल गेम खेलने की बात पता चली। स्कूल टीचर ने तुरंत प्रिंसिपल को बताया। प्रिंसिपल ने पैरेंट्स को स्कूल बुलाया और बच्चों के हाथ दिखाए। बच्चों की काउंसलिंग की गई। बच्चों के दिमाग से ब्लू व्हेल के गंदा खेल का खुमार उतारा गया। बच्चे सेव हो गए। पैरेंट्स ने टीचर्स को थैंक्स कहा।

जैसी सतर्कता इस स्कूल की टीचर ने दिखाई, वैसे ही सभी स्कूल में दिखानी चाहिए। पैरेँट्स को भी अपने बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। उसके नेचर पर नजर रखनी चाहिए। व्यवहार में बदलाव हो रहा हो तो उनसे बात करनी चाहिए। स्कूलों में इस सुसाइड गेम के साइड इफेक्ट्स के बारे में स्टूडेंट्स को अवेयर किया जाना चाहिए।

आगे... क्रिमिनल माइंड की उपज

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यह आतंकी गेम (ब्लू व्हेल) क्रिमिनल माइंड की उपज है। इन्हें आतंकवादी से कम नहीं , ज्यादा ही आंकना चाहिए। क्योंकि आज का यूथ मोबाइल-इंटरनेट के बिना अधूरा है, यह बात सभी जानते हैं। यूथ की इसी कमजोरी का आतंकी फायदा उठा रहे हैं।

मोबाइल आतंकियों का सबसे आसान हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाला साबित हो सकता है। बस हमें थोड़ा सतर्कता बरतने की जरूरत है। जैसे देश की सुरक्षा के लिए खुफिया एजेंसियां नजर रखती हैं, वैसे ही हमें खुद को खुफिया एजेंसी मानकर अपने बच्चों पर नजर रखकर उन्हें आतंक का शिकार होने से बचाना है।


खास खबर डाॅट कॉम परिवार ईश्वर से कामना करता है कि आतंकी अपने मंसूबों में कभी भी कामयाब न हों। उनकी इस मोबाइल आतंक फैलाने की मुहिम को कभी भी ताकत नहीं मिले। उनकी हर साजिश सदा विफल रहे। साथ ही अभिभावकों व अध्यापकों से अपील करतें हैं कि वे बच्चों को अपनी निगाह में रखें।


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