चीन ने दिखाई भारत को आंख, कहा- पूर्वोत्तर क्षेत्र में विदेशी निवेश मंजूर नहीं

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 15 सितम्बर 2017, 8:27 PM (IST)

पेइचिंग। भारत और जापान के बीच हुए समझौते से चीन बुरी तरह भडक़ गया है। चीन ने कहा कि वह भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में किसी भी विदेश निवेश को मंजूर नहीं करेगा। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने शुक्रवार को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों में निवेश की जापान की योजना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि चीन विवादित क्षेत्रों में किसी भी विदेशी निवेश का विरोध करता है।

हुआ ने कहा, आपने ऐक्ट ईस्ट नीति का भी जिक्र किया है। आपको यह स्पष्ट होना चाहिए कि भारत और चीन सीमा क्षेत्र की सीमा पूरी तरह निर्धारित नहीं है। हमारे बीच सीमा के पूर्वी खंड पर मतभेद है। हम बातचीत के जरिए ऐसे समाधान की तलाश कर रहे हैं जो दोनों पक्षों को मंजूर हो। ऐसी हालात में में विभिन्न पक्षों को इन पहलुओं का सम्मान करना चाहिए और विवादों को हल करने के हमारे प्रयासों में किसी तीसरे पक्ष को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

हुआ ने कहा, स्पष्ट तौर पर कहूं तो हम जापानी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा पर करीब से नजर रख रहे हैं। मैंने साझा बयान को बेहद सावधानी के साथ पढ़ा है, लेकिन मुझे बयान में कहीं भी चीन का जिक्र नहीं दिखा। हुआ ने कहा, मुझे यह भी कहना चाहिए कि भारत और जापान एशिया के महत्वपूर्ण देश हैं। हमें उम्मीद है कि संबंधों का सामान्य विकास क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए हितकर होगा।

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इससे पहले गुरुवार को चीन ने कहा था कि भारत व जापान को गठबंधन बनाने की बजाय साझेदारी के लिए काम करना चाहिए, क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व जापानी समकक्ष शिंजो आबे ने द्विपक्षीय रक्षा व सुरक्षा के संबंधों पर चर्चा के लिए तैयार हैं। मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, हम क्षेत्र के देशों के बीच सामान्य संबंधों के विकास का खुले तौर पर स्वागत करते हैं।

हम आशा करते हैं कि उनके सबंध क्षेत्रीय शांति व स्थिरता के अनुकूल होंगे और इस संदर्भ में एक रचनात्मक भूमिका निभा सकते हैं। आपको बता दें कि भारत और जापान के बीच हुए गुरुवार को समझौतों में पूर्वोत्तर भारत भी शामिल है। दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में दक्षतापूर्ण और प्रभावकारी रूप से कनेक्टिविटी बढ़ाने और विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने पर सहमति बनी है।

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