नई दिल्ली। श्रीलंका की हालत इस समय ऐसी है, जैसी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के शुरुआती दौर में थी। मुथैया मुरलीधरन के बाद गेंदबाजी क्षेत्र हुआ कमजोर। तिलकरत्ने दिलशान, कुमार संगकारा, महेला जयवर्धने जैसे दिग्गजों के जाने से बल्लेबाजी में भी निकला दम। पुनर्निर्माण के दौर से गुजर रही श्रीलंकाई टीम। अपने ही घर में हुई बेगानी। पहले वनडे में जिम्बाब्वे से हारी और फिर टेस्ट में भारत ने किया शर्मसार।
अब 20 अगस्त से भारत के खिलाफ होगी पांच मैच की वनडे सीरीज। इसमें फिर से रुतबा हासिल करना चाहेगी 1996 की विश्व विजेता। टीम को सबसे ज्यादा उम्मीद दाएं हाथ के हरफनमौला खिलाड़ी एंजेलो मैथ्यूज से। वर्ष 2008 में डेब्यू करने वाले मैथ्यूज हैं श्रीलंका के प्रमुख खिलाड़ी। टीम की जरूरत के हिसाब से धीमी और तेज बल्लेबाजी करने में सक्षम।
30 वर्षीय मैथ्यूज ने भारत के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी में खेली थी नाबाद 52 रन की मैच विजेता पारी। मैथ्यूज 187 वनडे में बना चुके हैं 470 रन और मीडियम पेसर गेंदबाजी से झटके हैं 111 विकेट। आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स, कोलकाता नाइट राइडर्स, पुणे वॉरियर्स से खेले...मतलब मिलेगा भारत के खिलाफ फायदा!!
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मैथ्यूज के अलावा कप्तान उपुल थरंगा (32), लसिथ मलिंगा (33) व थिसारा परेरा
(28) के पास भी अच्छा अनुभव। बाएं हाथ के बल्लेबाज थरंगा ने 207 वनडे में
बनाए हैं 6212 रन। दाएं हाथ के तेज गेंदबाज मलिंगा 199 वनडे में झटक चुके
हैं 298 विकेट। बाएं हाथ के ऑलराउंडर थिसारा परेरा ने 119 वनडे में 1350 रन
बनाने के साथ लिए 129 विकेट।
टीम के अन्य सदस्य हैं दुष्मांथा चमीरा (25),
अकिला धनंजय (23), वानिंदु हसरंगा (20), निरोशन डिकवेला (24), विश्वा
फर्नांडो (25), दानुष्का गुणातिलका (26), चमारा कापुगेदारा (30), कुशल
मेंडिस (22), मलिंडा पुष्पकुमारा (30), लक्षण संदाकन (26) व मिलिंडा
सिरिवर्दना (31)।
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