मार्च में ही खत्म हो गया था गोरखपुर अस्पताल में ऑक्सीजन आपूर्ति का अनुबंध

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 12 अगस्त 2017, 9:36 PM (IST)

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से हुई 60 से ज्यादा बच्चों की मौतों पर प्रदेश सरकार अपना बचाव करने में जुट गई है। वहीं, ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले फर्म का कहना है कि अस्पताल को ऑक्सीजन की आपूर्ति का अनुबंध मार्च में ही समाप्त हो गया था। उसके बाद अनुबंध का नवीनीकरण नहीं किया गया। पुष्पा सेल्स कंपनी के मालिक परवीन मोदी, जो बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्ति करते थे, ने साफ तौर पर आपूर्ति के किसी टेंडर से इनकार कर दिया। उन्होंने मीडियाकर्मियों को बताया कि अस्पताल के साथ अनुबंध मार्च में ही समाप्त हो गया था और इसे फिर से नवीनीकृत नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जब तक नए टेंडर की औपचारिकताएं पूरी नहीं हो जातीं, तबतक आपूर्तिकर्ता को बिना किसी रुकावट के इसे जारी रखने के लिए कहा जाता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया।

इस साल भाजपा सरकार आने के बाद पुष्पा सेल से अनुबंध समाप्त कर दिया गया और नया अनुबंध इलाहाबाद के इंपीरियल गैस के साथ किया गया। परवीन ने कहा कि अस्पताल पर अभी तक 20 लाख रुपये बकाया है, इसके बावजूद मंडलायुक्त के अनुरोध पर शुक्रवार को लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई थी। उन्होंने कहा, मैंने ऐसा सिर्फ मानवता के नाते किया। उन्होंने उन रपटों का खंडन किया, जिनमें कहा गया है कि उन्होंने बकाया भुगतान न मिलने के कारण ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दी थी। परवीन के कहा, मैंने अधिकारिकयों द्वारा किए गए अनुरोध के बाद 200 सिलिंडर की आपूर्ति की है।

उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, अस्पताल पर बकाया होने की वजह से हम मार्च से अस्पताल को आपूर्ति नहीं कर रहे हैं। राज्य सरकार के लिए और अधिक शर्मिंदगी तब हुई जब यह बात सामने आई कि केंद्रीय ऑक्सीजन पाइपलाइन संयंत्र के स्टाफ ने अस्पताल के बाल चिकित्सा विभाग के प्रमुख को ऑक्सीजन स्टॉक के बारे में चेतावनी देते हुए लिखा था। उन्होंने चेतावनी दी थी कि ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्पताल में विभिन्न वार्डों में भर्ती मरीजों और खासकर बच्चों को परेशानी हो सकती है। हालांकि, ऐसा लगता है कि चेतावनी को अनसुना कर दिया गया और ऑक्सीजन के लिए कोई अग्रिम व्यवस्था नहीं की गई।

DM ने कमीशन के चक्कर में नहीं होने दिया ऑक्सीजन का भुगतान

गोरखपुर के बाबा राघवदास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में हुई 60 से ज्यादा बच्चों की मौतों के मामले में लोकदल के अध्यक्ष सुनील सिंह ने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा अनीता भटनागर जैन, निदेशक राजीव मिश्रा और डीएम को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा है कि डीएम ने कमीशन के चक्कर में ऑक्सीजन का भुगतान नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी रौतेला जहां भी रहे हैं, विवादित रहे और आक्षेपों से घिरे रहे। उन्होंने शत-प्रतिशत कमीशन के चक्कर में ऑक्सीजन का भुगतान नहीं होने दिया।

सिंह ने पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग करते हुए कहा कि मामले में डीएम, निदेशक और प्रमुख सचिव सहित सभी दोषियों के खिलाफ मुकदमा दायर कर सभी को जेल भेजना चाहिए। सिंह ने पत्रकारों से कहा, मुख्यमंत्री का दौरा पूर्व नियोजित नहीं होना चाहिए, अचानक दौरा प्रशासनिक दृष्टि से ठीक रहता है। मैंने तो योगी के शपथ के समय ही कह दिया था कि 20 साल सांसद रहने के बाद भी गोरखपुर की दिमागी बुखार की समस्या योगी हल नहीं कर पाए तो यह प्रदेश की समस्याओं का हल कभी नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि असली दोषियों को पकडऩे लिए लोकदल की मांग है कि इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए और चिकित्सा मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को पद से हटाया जाए।

गोरखपुर में बच्चों की मौत का कारण ऑक्सीजन की कमी

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बीआरडी मेडिकल कॉलेज के दौरे पर पहुंचे कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने मेडिकल कॉलेज में मरीजों एवं उनके परिजनों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने इस हृदय विदारक घटना के लिए सीधे तौर पर प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। आजाद ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ये मौत नहीं हत्या है और सरकार को इसके लिए बिना शर्त देश, बच्चों के माता-पिता और जनता से माफी मांगनी चाहिए। प्रदेश के मुख्यमंत्री 48 घंटे पूर्व ही गोरखपुर आए थे और मेडिकल कॉलेज का दौरा किया था। बच्चों की मौत के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है और इसकी जिम्मेदारी प्रदेश के मुख्यमंत्री को लेनी होगी।

उन्होंने कहा, सरकार कह रही है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई। मैं कहता हूं कि बच्चों की मौत के पीछे सौ प्रतिशत वजह ऑक्सीजन की कमी रही है, जिसके लिए सरकार और उनके मंत्री जिम्मेदार हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव सहित सभी जिम्मेदार लोगों को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए और उन्हें खुद इसकी जिम्मेदारी लेते हुए पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।

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