पनामा में सजा मिलेगी पर सही तरीके से, पाक की नीति पर नहीं चलेंगे: जेटली

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 10 अगस्त 2017, 10:19 PM (IST)

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि पनामा पेपर्स मामले की सरकार जांच करा रही है, लेकिन पाकिस्तान की तरह बिना उचित जांच के किसी को सजा नहीं दी जाएगी। राज्यसभा में एक सवाल के उत्तर में जेटली ने कहा, यहां प्राप्त हुए विदेशी बैंक खातों के विवरणों पर जितनी इस सरकार ने कार्रवाई की है उतनी किसी भी सरकार ने कभी नही की। बैंकिंग रेग्युलेशन (संशोधन) बिल पर बहस पर पनामा पेपर लीक का जिक्र करते हुए कहा, सभी अकाउंट की जांच हो रही है। जेटली ने कहा हमारे पास कानून है। हमारे पास पड़ोसी देश जैसा सिस्टम नहीं है, जहां पहले किसी को पद हटाया जाता है और फिर ट्रायल होता है।

आपको बता दें कि पनामा पेपर मामले में नवाज को पिछले महीने पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने पीएम पद के अयोग्य घोषित कर दिया था। इसके बाद नवाज ने इस्तीफा दे दिया था। नवाज के पनामा पेपर लीक मामले में इस्तीफे के बाद भारत में भी इस मामले में कार्रवाई की मांग की जाने लगी है। जेटली ने अपने जवाब में कहा कि टैक्स अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं और जहां कागजात मिल गए हैं वहां अभियोग की प्रक्रिया शुरू की गई है।

जेटली ने कहा, हम पहले अपनी जांच कर रहे हैं, चाहे वह एचएसबीसी मामला हो या कोई और। हर मामले में जहां अकाउंट्स हैं, हम संबंधित देश के अधिकारियों के संपर्क में है। उन्होंने कहा, जिस भी मामले में हमें कागजात मिल रहे हैं उनमें अभियोग की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। मूल्यांकन किया जा रहा है। एक बार अभियोग दाखिल होने के बाद नामों का भी खुलासा करने में कोई हर्ज नहीं होगा क्योंकि अभियोग तो खुली अदालत में दाखिल किया जाता है। वित्त मंत्री ने कहा कि जबतक जांच होगी तबतक नामों का खुलासा नहीं किया जा सकता है, लेकिन जब मामला कोर्ट पहुंचेगा तब नामों पर गोपनीयता खत्म हो जाएगी।

फंसे कर्जो से बैंकों की कर्ज देने की क्षमता घटी

जेटली ने बैंकिंग विनियम (संशोधन) विधेयक पर जारी बहस में राज्यसभा में कहा, आप पूछते हैं कि ऐसी क्या जल्दी है. इसमें तो पहले ही बहुत देर हो चुकी है। बैंकों के फंसे हुए कर्जो (एनपीए) के समाधान में देरी से बैंकों को विकास दर को बढ़ावा देने और छोटे निवेशकों को कर्ज देने की क्षमता प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा, इसके अलावा फंसे कर्जो के कारण दिन ब दिन उस पर ब्याज भी बढ़ता जा रहा है और बुरे ऋण की मात्रा बढ़ती जा रही है।

ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

उन्होंने कहा, विधेयक के पारित होने पर बैंक धीरे-धीरे धन पाना शुरू करेंगे, कंपनियों का कामकाज जारी रहेगा और लोगों की नौकरियां बचेंगी। इसलिए इसकी तुरंत जरूरत है। बैंकों का फंसा हुआ कर्ज बढक़र अब तक 9 लाख करोड़ रुपये हो चुका है और अब आरबीआई को यह शक्ति दी जा रही है कि वह कर्ज की वसूली के मामलों को ऋणशोधन एवं दिवालिया बोर्ड को सौंपे।

ये भी पढ़ें - इस पेड से निकल रहा है खून, जानिए पूरी कहानी