शिव पूजा करते समय रखें 10 बातों का ध्यान, नहीं रुकेगा कोई काम

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 20 जून 2017, 10:38 AM (IST)

शिव यूं तो शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव हैं, लेकिन कुछ खास बातों का ध्यान रख कर यदि पूजा-अर्चना की जाए, तो महादेव तुरंत मेहरबान होने लगते हैं, जिससे आपका कोई भी काम नहीं रूकता और आप जीवन में कामयाब होते चले जाते हैं।

1- सर्वप्रथम बिल्वपत्र और अक्षत (चावल) लेकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए। ध्यान करते समय इस प्रकार उपासना करें- चांदी के पर्वत के समान जिनकी श्वेत कान्ति है, जो सुन्दर चन्द्रमा को आभूषण रूप में धारण करते हैं, रत्नमय अलंकारों से जिनका शरीर उज्ज्वल है, जिनके हाथों में परशु, मृग; वर और अभय मुद्रा है, जो प्रसन्न हैं, पद्म के आसन पर विराजमान हैं, देवता जिनके चारों ओर खड़े होकर स्तुति करते हैं, जो विश्व के आदि जगत के उत्पति बीज और समस्त भयों को हरने वाले हैं, जिनके पांच मुख और तीन नेत्र हैं। ऐसे परमेश्वर का मैं वन्दन करता हूं।

2- जलहरी में सर्प का आकार हो, तो पहले सर्प का पूजन करें। इसके पश्चात शिव का ध्यान करें।

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3- बिल्वपत्र तोड़ते समय आचारेन्दु ने निम्न मन्त्र के उच्चारण का निर्देश दिया है-
अमृतोद्धव! श्रीवृक्ष! म्हादेव प्रिय: सदा।
गृहणामि तब पत्राणि तब पत्राणि शिवपूजार्थमादरात।।


4- लिंग पुराण घोषणा करता है कि-
अमरिक्तासु संक्रान्त्यामष्टम्यामिन्दुवासरे।
बिल्व पत्रं न च छिन्द्याच्छिन्द्याच्चेन्नरकं व्रजेंतृ।।

अर्थात:- चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रान्ति (सूर्य के राशि परिर्वतन के समय) और सोमवार को बिल्वपत्र न तोड़ें, लेकिन बिल्वपत्र भगवान शिव को अति प्रिय हैं, अत: निषिद्ध समय में पहले दिन का रखा हुआ बिल्व पत्र चढ़ाना चाहिए। स्कन्द पुराण एवं आचारेन्दु में यहां तक भी कहा गया है - अर्पितान्यपि बिल्वानि प्रक्षल्यापि पुन: पुन: अर्थात यदि नए बिल्वपत्र न मिल सकें तो चढ़ाए हुए बिल्व पत्र को भी धोकर बार बार चढ़ा सकते हैं।

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5- फूल और पत्ते जैसे उगते हैं, उन्हें वैसे ही चढ़ाना चाहिए। उत्पन्न होते समय इनका मुख ऊपर की ओर होता है, अतः चढ़ाते समय इनका मुख ऊपर की ओर रखना चाहिए, लेकिन तृच भास्कर का कथन है कि दूर्वा: स्वभिमुखग्रा: स्युर्बिल्वपत्रमधोमुखम अर्थात दूर्वा एवं तुलसीदल को अपनी ओर तथा बिल्वपत्र को मुख नीचे कर चढ़ाना चाहिए।

6- शिव पुराण का कथन है कि जो मनुष्य भगवान शिव के लिए फूलवाड़ी या बगीचे आदि लगाता है तथा शिव के सेवा कार्य के लिए मन्दिर में झाड़ने-बुहारने आदि की व्यवस्था करता है, वह इस पुण्यकर्म को करके शिव पद प्राप्त कर लेता है।

7- आचार प्रकाश एवं आचारेन्दु का कथन है कि धर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य, तीन दुर्गा मूर्ति, दो गोमतीचक्र और दो शालग्राम की पूजा करने से गृहस्थ मनुष्य को अशान्ति होती है।

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8 - भगवान शिव का रात्रि में जागरण कर रात्रि के चार प्रहर में पूजा का प्रावधान है।

9- सूंघा हुआ या अंग में लगाया हुआ फूल भगवान को नहीं चढ़ाया जाता।

10- जो फूल अपवित्र स्थान पर बर्तन में रख दिया गया हो, जिसकी पंखुड़ियां बिखर गई हों, जो पृथ्वी पर गिर गया हो, जिसमें दुर्गंध आती हो, जो फूल बाएं हाथ से लाए गए हों या अधो वस्त्र में रख कर लाए गए हों, उन्हें भी भगवान को नहीं चढ़ाना चाहिए।

-ज्योतिर्विद पंडित श्रीकृृष्ण शर्मा

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