राष्ट्रपति चुनाव के बहाने महागठबंधन की कवायद, शुरू की मोर्चाबंदी

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017, 3:52 PM (IST)

नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर विपक्ष ने मोर्चाबंदी शुरू कर दी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली में गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि बैठक में दोनों के बीच राष्ट्रपति के उम्मीदवार को लेकर भी चर्चा हुई है। दोनों नेताओं ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की तरफ से सिर्फ एक उम्मीदवार उतारे जाने की अपील की है। राष्ट्रपति चुनाव के बहाने विपक्षी एकता की यह कवायद बहुत हद तक 2019 के लिए विपक्ष के ‘महागठबंधन’ का खाका भी खींचेगी।

जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने बताया कि उनकी पार्टी विपक्ष की एकता की पक्षधर है। जदयू का मानना है कि विपक्ष को मिलकर राष्ट्रपति पद के लिए एक उम्मीदवार की घोषणा करनी चाहिए। विपक्ष की सबसे वरिष्ठ नेता होने की वजह से सोनिया गांधी को आगे आकर राजनीतिक दलों से बातचीत करनी चाहिए। त्यागी ने आगे बताया कि नीतीश कुमार ने इस संबंध में राकांपा और लेफ्ट पार्टियों से भी चर्चा की है। सोनिया गांधी के आवास 10, जनपथ पर तकरीबन आधे घंटे तक हुई दोनों के बीच मुलाकात को बेहतर रणनीति और समन्वय के लिए हुई बैठक बताया गया है।

राष्ट्रपति चुनाव विपक्षी एकता के लिए बड़ा इम्तिहान

पंजाब को छोडक़र हालिया 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा के दमदार प्रदर्शन से विपक्षी दलों की चिंता बढऩा स्वाभाविक है। ऐसे में भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए विपक्ष के पास बिहार के महागठबंधन का मॉडल ही सबसे बेहतर है। इसके मद्देनजर राष्ट्रपति चुनाव विपक्षी एकता के लिए बड़ा इम्तिहान साबित होने वाला है।

नवीन पटनायक से मिलीं ममता बनर्जी



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राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी काफी सक्रिय हैं। गुरुवार को ममता ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से राजधानी भुवनेश्वर में मुलाकात की। दरअसल नवीन पटनायक और केंद्र की मोदी सरकार के बीच रिश्ते अच्छे रहे हैं इसलिए भाजपा राष्ट्रपति चुनाव में बीजद को संभावित सहयोगी के तौर पर देख रही है। शायद यही वजह है कि ममता और नवीन पटनायक की मुलाकात काफी अहम है। इस मुलाकात को दोनों नेताओं का अपने-अपने घर में भाजपा की चुनौती के खिलाफ साथ आने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, पश्चिम बंगाल में 2 सीटों पर हुए हालिया उपचुनावों में टीएमसी की भले ही बड़े अंतर से जीत हुई हो लेकिन कुछ समय पहले तक पश्चिम बंगाल में जमीन की तलाश कर रही भाजपा का उपचुनावों में दूसरे पायदान पर पहुंचना ममता के लिए चिंता की बात है। इसी तरह ओडिशा में हाल में हुए पंचायत चुनावों में भाजपा का शानदार प्रदर्शन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं, खासकर तब जब विधानसभा चुनाव में सिर्फ दो साल बचे हैं।

ममता-नवीन मुलाकात पर बीजेपी का तंज

ममता बनर्जी का नवीन पटनायक से मुलाकात करना भाजपा को नागवार गुजरा है। भाजपा ने ममता बनर्जी और नवीन पटनायक की मुलाकात पर तंज कसा है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ममता के ओडिशा दौरे की मुख्य वजह चिटफंड स्कैम में जेल में बंद टीएमसी सांसदों से मुलाकात है। उन्होंने कहा कि चिटफंड स्कैम में टीएमसी के कुछ सांसद भुवनेश्वर जेल में बंद हैं और ममता इन्हीं से मिलने आई हैं। उन्होंने कहा कि नवीन की अगुवाई वाले बीजू जनता दल और ममता की अगुवाई वाली टीएमसी के बीच भ्रष्टाचार को लेकर समानता है और इसी वजह से दोनों साथ हैं।

मायावती भी दे चुकी हैं महागठबंधन के संकेत


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लोकसभा चुनाव के बाद यूपी विधानसभा चुनाव में तगड़ा झटका खाने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती भी हाल में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन का हिस्सा बनने का संकेत दे चुकी हैं। मायावती कह चुकी हैं कि भाजपा को हराने के लिए वह किसी के भी साथ जाने को तैयार हैं। यूपी नगर निकाय चुनाव में पार्टी के सिंबल पर चुनाव लडऩे का उनका फैसला भी गठबंधन की राजनीति के लिए पार्टी संगठन को तैयार करने की उनकी कोशिश की तरफ इशारा कर रहा है। भविष्य में भाजपा विरोधी गठबंधन का हिस्सा होने का संकेत देने एक हफ्ते के भीतर उन्होंने पार्टी संगठन में भी बदलाव किया है। बसपा को भाजपा के खिलाफ महागठबंधन का हिस्सा बनाने के लिए नीतीश कुमार और ममता बनर्जी की सक्रियता को मायवती के रुख में बदलाव की वजह मानी जा रही है।

विपक्ष को क्यों है एकता की उम्मीद

विपक्षी दलों को राष्ट्रपति चुनाव में एकता की उम्मीद है। जदयू का तर्क है कि राष्ट्रपति चुनाव में सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ विपक्ष हमेशा एक साथ आता रहा है, तब भी जब कांग्रेस सत्ता में थी। जदयू के मुताबिक, कांग्रेस के सत्ता के समय ‘सेक्यूलर विपक्ष’ और ‘सांप्रदायिक’ भाजपा का विभाजन कांग्रेस का काम आसान कर देता था। अब जबकि भाजपा सत्ता में है तो राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष को अपनी एकता आसान लग रही है।

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