लाउडस्पीकर से अजान के खिलाफ लड़ता यह मुस्लिम, 7 मस्जिदों से उतारे

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017, 12:58 PM (IST)

मुंबई। जब बॉलीवुड सिंगर सोनू निगम के लाउडस्पीकर पर अजान के विरुद्ध ट्वीट के बाद देश में धर्मस्थलों पर लाउडस्पीकर बजाने को लेकर बवाल मचा हुआ है, ऐसे वक्त में मुंबई में एक ऐसी मुस्लिम शख्सियत सामने आई है जिसने लाउडस्पीकर पर अजान का खुलकर विरोध किया है। मुम्बई के मोहम्मद अली उर्फ बाबूभाई (66) साल के नमाजी मुसलमान हैं और लाउडस्पीकर से दी हुई अजान को गैर इस्लामिक मानते हैं। उन्होंने अपनी बात को मनवाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई है। पैसे कम थे इसलिए मामले में पैरवी खुद की और यह साबित किया कि कुरान को लाउडस्पीकर की अजान गवारा नहीं।
याचिकाकर्ता मोहम्मद अली उर्फ बाबूभाई ने न्यूज चैनल एनडीटीवी से कहा कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल धर्म का हिस्सा नहीं है, न ही यह बुनियादी है, क्योंकि धर्म 1400 साल पुराना है और लाउडस्पीकर अभी कुछ सौ साल पहले आया है। लाउडस्पीकर को हटाने से धर्म को कोई खतरा नहीं है। धर्म अपने आप में मुकम्मल है, वो लंगड़ा नहीं है कि उसे लाउडस्पीकर की बैसाखी देकर ताकतवर बनाया जाए।
बाबू भाई की कानूनी जीत अब एक मुहिम में तब्दील हो गई है। उन्होंने अपने दावे को मजबूत बनाने के लिए धर्मग्रंथ के साथ मौलवियों के 64 फतवे भी ढूंढ निकाले हैं। वह लगतार बताते हैं कि उनकी लड़ाई धर्म के खिलाफ नहीं बल्कि धर्म के नाम पर रोजमर्रा के आचरण में जोड़ी गई अतिरिक्त और गैरजरूरी बातों के खिलाफ है।

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कुरान के हवाले से उन्होंने मुंबई में बेहराम पाड़ा और भारत नगर जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों की सात मस्जिदों पर से सारे भोंपू उतरवा दिए हैं। उनकी लड़ाई में साथ देने वालों को हिम्मत जुटाने में भी वक्त लगा। स्थानीय मदनी मस्जिद के ट्रस्टी मोहम्मद नजर ने बताया कि उनकी मस्जिद में तीन स्पीकर लगे हुए थे। इन्हें एक साथ नहीं बल्कि धीरे-धीरे हटाया। पहले अजान में, फिर नमाज में और जुम्मे में इन्हें हटा दिया गया।

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धर्मस्थलों पर बजते लाउडस्पीकर को लेकर संतोष पाचलग, डॉ बेडेकर और मोहम्मद अली तीनों की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस ओक और जस्टिस सैय्यद अमजद ने अगस्त 2016 में फैसला सुनाते हुए कहा था कि देश में कहीं भी लाउडस्पीकर का इस्तेमाल रात दस से सुबह 6 के बीच करने वालों पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना और पांच साल तक की जेल होगी। बाबूभाई ने अपनी बात रखने के लिए सोशल मीडिया को जरिया बनाने के बजाए संवैधानिक हक का इस्तेमाल किया। इस वजह से आया फैसला अब पूरे देश पर लागू हो चुका है।

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