गौरैया को दें घर और दिलों में जगह

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 21 मार्च 2017, 3:59 PM (IST)

नोएडा। लुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी नन्हीं गौरेया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ओखला पक्षी विहार में बच्चों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें बच्चों को गौरैया का घोंसला बनाना सिखाया गया। साथ ही थीम गौरैया पर ड्राइंग प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। यह आयोजन ओखला पक्षी विहार, नोएडा और ईको रूट फाउंडेशन ने संयुक्त रूप से किया। जिसमें भाग लेकर बच्‍चे और पक्षी प्रेमियों ने गौरेया के बारे में जानकारी हासिल की।

इंटरनेशनल ग्रीन एप्पल अवार्ड विनर राकेश खत्री ने बच्चों को घोंसला बनाना सिखाया। बच्‍चे भी उत्‍सुकता और उत्‍साह से घोंसला बनाना सीखा। वे इन घोंसलों को अपने घरों में रखेगे जहां गौरेयां को एक बार फिर लोगों के घरो में अपना आशियाना बनाकर उनके जीवन का अंग बन जाये। राकेश का कहना है कि घोंसले से जोडने में बच्‍चे प्रकृति के साथ जुड रहे है। उनका कहना है कि गौरेया गायब नही हुई वह हमसे रूठ गई है। क्योंकि अपनी लाइफ-स्‍टाइल और कांक्रीट के जंगल खड़े करके उसके आशियाने को खत्‍म कर दिया है।

कार्यशाला में बच्‍चो ने घोसला बनाने के अलावा और गौरैया के चित्रो को कैनवास पर उकेरा। कार्यक्रम में जिला वन अधिकारी भी मौजूद रहे। उनका कहना था कि जिस तरह से गांवों का शहरीकरण हो रहा है और शहरो का कांक्राटिजेशन हो रहा है ऐसे में गौंरेया को वापस लाना काफी मुश्किल है। लेकिन एक मुहीम की शुरूआत की गई है। वह है बर्ड नेस्टिंग बाक्‍स का डिस्‍टीब्‍यूसन जिसे गौरेया अपना ले और हमारे जीवन में लौट आए।

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समय है कि हम चेत जाये अगर विलुप्त होती गौरैयो प्रजाति पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब गिद्धों की तरह गैरैया भी इतिहास बन जाएगी सिर्फ सरकार के भरोसे हम इंसानी दोस्त गौरैया को नहीं बचा सकते. इसके लिए हमें आने वाली पीढ़ी को बताना होगा की गौरैया या दूसरी विलुप्त होती पक्षियां मानवीय जीवन और पर्यावरण के लिए क्या खास अहमियत रखती हैं।

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