मुंबई। महाराष्ट्र के 17 सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवा सोमवार को उस
समय बाधित हुई, जब 4,000 रेजीडेंट चिकित्सक मरीजों के रिश्तेदारों के हमलों
की बढती घटनाओं के विरोध में सामूहिक आकस्मिक छुट्टी पर चले गए।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन-यूथ के अध्यक्ष सागर मुंदादा ने कहा कि एक सप्ताह
में रेजीडेंट चिकित्सकों पर कम से कम पांच हमले हुए हैं। इनमें से दो हमले
24 घंटों में हुए हैं। मुंदादा ने कहा, आज हमने मेयर विश्वनाथ महादेश्वर से
मुलाकात की, लेकिन हमें ड्यूटी के दौरान हमारी सुरक्षा को लेकर कोई ठोस
आश्वासन नहीं मिला।
महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) के अध्यक्ष यशोवर्धन
काबरा ने कहा कि चिकित्साकर्मियों पर अचानक हमलों की घटना से चिकित्सा
समुदाय व्यथित है और इस तरह के प्राण घातक वातावरण में काम करना कठिन है।
काबरा ने कहा,मुंबई के सायन और वाडिया अस्पतालों में चिकित्सकों पर हमले
हुए, जिसके बाद हमारे सदस्यों ने आकस्मिक छुट्टी पर जाने का निर्णय लिया।
इसके साथ ही एमएआरडी इस बात को रेखांकित करने के लिए बंबई उच्च न्यायालय
में एक हलफनामा दाखिल कर रहा है कि चिकित्सकों की सुरक्षा पर और संबंधित
पहलुओं पर उसके आदेश को राज्य सरकार कथित तौर पर अभी तक लागू नहीं कर पाई
है।
काबरा ने कहा,वास्तव में पिछले शुक्रवार को ही हमने एक दिन की सामूहिक
छुट्टी की योजना बनाई थी, लेकिन सरकार के आश्वासन के बाद हमने उस योजना को
रद्द कर दिया। लेकिन उसी रात को चिकित्सकों पर सायन अस्पताल में हमला हुआ
और उसके बाद कल एक और हमला हुआ।
सामूहिक छुट्टी से मुंबई के जिन अस्पतालों पर असर पडा है, उनमें केईएम,
सायन एलटीएमजी, नायर और सर जेजे समूह के अस्पताल शामिल हैं। कोल्हापुर
सरकारी अस्पताल में रेजीडेंट चिकित्सक ड्यूटी पर तो हैं, लेकिन उन्होंने
काली पियां बांध रखी है। हजारों की संख्या में मरीजों को रेजीडेंट
चिकित्सकों की अनुपस्थिति के कारण चिकित्सा से वंचित होना पडा है, यद्यपि
वरिष्ठ चिकित्सक और अन्य चिकित्सा कर्मी गंभीर और आपात मामलों को देख रहे
हैं।
(आईएएनएस)