नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि नेताओं और नौकरशाहों
के खिलाफ चल रहे मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरा करने के लिए विशेष
त्वरित अदालतें बनाने की मांग का आयोग समर्थन करता है।
आयोग ने कहा है कि
सजायाफ्ता व्यक्ति के चुनाव लडने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी
पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए।
आयोग ने यह जवाब एक जनहित याचिका पर दिया है जिसमें नेताओं के मुकदमों को
जल्द निपटाने के लिए विशेष त्वरित अदालतें बनाने का निर्देश देने का आग्रह
किया गया है। इस मामले पर मंगलवार को सुनवाई हो सकती है।
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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर उसका पक्ष जनना चाहा था। चुनाव आयोग ने शपथपत्र में कहा कि उसने राजनीति का अपराधीकरण रोकने के लिए कानून मंत्रालय को प्रस्ताव भेजे हैं लेकिन ये अभी लंबित हैं। इसके अलावा पेड न्यूज पर प्रतिबंध लगाने, चुनाव से 48 घंटे पहले प्रिंट मीडिया में विज्ञापनों पर प्रतिबंद्ध, वोटरों को घूस देने को संज्ञेय अपराध बनाने और चुनाव खर्च के प्रावधानों में संशोधन के प्रस्ताव शामिल हैं।
चुनाव लडने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और अधिकतम आयु सीमा निर्धारित किए जाने की मांग पर चुनाव आयोग का कहना है कि ये उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। लेकिन इसे लेकर कानून बनाया जा सकता है। भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में मांग की है कि नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ चल रहे मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरा करने के लिये त्वरित अदालतें बनाई जाएं।