वोडाफोन-आइडिया विलय 2 साल में, कमान केएम बिड़ला को,होगी छंटनी!

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 20 मार्च 2017, 10:18 AM (IST)

नई दिल्ली। दुनिया की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनियों में से एक वोडाफोन ने सोमवार को स्वदेशी कंपनी आदित्य बिड़ला ग्रुप के आइडिया सेल्युलर के साथ अपने विलय का आधिकारिक ऐलान कर दिया। इसी के साथ यह देश का सबसे बड़ा टेलिकॉम ऑपरेटर बन गया। दरअसल, मुकेश अंबानी के जियो 4जी के तहत मुफ्त पेशकश और फिर एग्रेसिव टैरिफ प्लान के चलते टेलिकॉम क्षेत्र में पैदा हुई जबरदस्त प्रतिस्पर्धा के बीच यह मर्जर महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अब देखना यह है कि यह नई कंपनी इस प्रतिस्पर्धा में रिलायंस के जियो को किस हद तक टक्कर दे पाती है।

केएम बिड़ला होंगे नई कंपनी के चेयरमैन

इन दोनों के विलय के बाद इसके चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़वा होंगे, जो आदित्य बिड़ला ग्रुप के प्रमुख हैं। जबकि कंबनी कासीएफओ वोडाफोन की तरफ से रखा जाएगा। इसके अलावा सीईओ की नियुक्ति दोनों कंपनियां मिलकर करेंगे। वोडाफोन के सीईओ विटोरियो ने कहा कि दोनों कंपनियां मजबूत हैं इसलिए विलय के बाद भी अलग-अलग बांड से चलती रहेंगी। यानी ये दोनों मिलकर कोई नई कंपनी नहीं बनवाएंगे, बल्कि वोडाफोन और आइडिया के नाम से ही चलेंगे।

हालांकि इस आधिकारिक ऐलान के बाद भी दोनों कंपनियां एक नहीं हुई हैं, क्योंकि अभी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। आइडिया के बोर्ड से इस डील को हरी झंडी मिल गई है, लेकिन अभी कई अप्रूवल मिलने बाकी हैं। इनमें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, मार्केट रेग्यूलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड और फोरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड शामिल हैं। 2018 तक प्रक्रिया पूरी होगी, जिसके बाद ये दोनों कंपनियां एक हो जाएंगी।

क्या नंबर-1 बन जाएगी यह कंपनी?

विलय के बाद भारत में इस कंपनी के 400 मिलियन कस्टमर्स होंगे और मार्केट शेयर 35 फीसदी का होगा, यानी एयरटेल फिलहाल नंबर-1 टेलिकॉम कंपनी है, लेकिन विलय के बाद एयरटेल दूसरे नंबर पर चली जाएगी। इस कंपनी के पास सबसे ज्यादा मोबाइल यूदर्स तो होंगे ही, साथ ही रेवेन्यू के मामले में भी भारती एयरटेल और जियो को मात देते हुए नंबर-1 बन जाएंगे। दोनों कंपनियों का सालाना रेवेन्यू 80 हजार करोड़ रुपये होगा, यानी रेवेन्यू के मामले में इस कंपनी का मार्केट शेयर 41 फीसदी होगा जबकि यूजर्स के मामले में इसके शेयर 35 फीसदी होगा। उम्मीद करनी चाहिए कि मुनाफे की तलाश में नई कंपनी छंटनी की घोषणा कर सकती है।

क्या एयरटेल और जियो को होगा नुकसान?

रिलायंस जियो भारत में तेजी से पांव पसार रहा है, इसलिए दूसरी कंपनियों पर दबाव बढऩा लाजिमी है। इस विलय से एयरटेल और जियो को खास नुकसान नहीं होगा, क्योंकि एयरटेल मे पहले ही टेलिनॉर को खरीद लिया है और कंपनी अपने 4जी नेटवर्क को बेहतर करने के लिए तिकोना डिजिटल नेटवर्क से स्पेक्ट्रम खरीद रही है। इस डील की वैल्यू 1500 से 1700 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। रिलायंस जिय न सिर्फ मोबाइल सर्विस से बल्कि दूसरी सर्विसों से भी अपने कस्टमर्स को रोकने की कोशिश करेगा।

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इस मर्जर से यूजर्स को आनेवाले दिनों में नए प्लान और पैक्स मिल सकते हैं, क्योंकि पहले जियो को टक्कर देने के लिए एयरटेल नए प्लान लॉन्च कर रही थी, लेकिन अब इसके बाद एयरटेल के साथ आइडिया-वोडाफोन भी नए प्लान और पैक्स के साथ बाजार में होंगी।
विलय से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
1. आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा कि मर्जर के बाद कोई खास बड़े स्तर पर लोगों को हटाए जाने का फैसला लेने की कोई योजना फिलहाल नहीं है।
2. बिड़ला ने कहा, वह नई कंपनी के चेयरपर्सन बनकर खुश हैं और बेहद सम्मानजनक महसूस कर रहे हैं।
3. वोडाफोन समूह के सीईओ विट्टोरियो कोलाओ ने कहा- वोडाफोन इंडिया और आइडिया के विलय से डिजिटल इंडिया का एक नया चैम्पियन तैयार होगा। यह विलय दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और पूरे भारत के गांवों, शहरों और कस्बों में विश्वस्तरीय 4जी नेटवर्क लाने के ध्येय से किया गया है।
4. कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा- हमें अब तक समर्थन देने वाले आइडिया के शेयरहोल्डर्स और कर्जदाताओं के लिए यह विलय बेहद फायदे का सौदा साबित होगा। आइडिया और वोडाफोन साथ मिलकर एक बेहद महत्वपूर्ण कंपनी बनाएंगे।
5. आइडिया ने एक बयान में कहा कि वोडाफोन के पास संयुक्त कंपनी की 45.1 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी, जबकि, आइडिया के पास 54.9 फीसदी हिस्सेदारी रहेगी। बयान के मुताबिक, आदित्य बिड़ला समूह के पास इस विलय के बाद 26 प्रतिशत हिस्सेदारी रहेगी और उसे समय के साथ हिस्सेदारी बराबर करने के लिए वोडाफोन से और अधिक शेयर लेने का अधिकार होगा।

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6. दोनों कंपनियों के विलय की प्रक्रिया पूरी होने में दो साल का वक्त लगेगा। विलय के इस एग्रीमेंट में वोडाफोन का इंडस टावर्स में 42 फीसदी की हिस्सेदारी शामिल नहीं है।
7. संयुक्त बयान के मुताबिक, मर्जर के बाद 4 करोड़ यूजर बेस और टेलिकॉम मार्केट का 35 फीसदी तथा 41 फीसदी रेवेन्यू शेयर इनके हिस्से में आएगा।
8. आइडिया के प्रोमोटर्स के पास एकाधिकार होगा कि वह किसे चेयरपर्सन नियुक्त करते हैं। हालांकि सीईओ और सीएफओ की नियुक्ति को लेकर दोनों प्रोमोटर मिल कर फैसला लेंगे और दोनों की ही सहमति इसके लिए आवश्यक होगी।
9. विलय के ऐलान के बाद आइडिया के शेयरों में जोरदार उछाल देखा गया। इसके बाद इसके शेयरों में 5 फीसदी तेजी देखी गई।


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