जीत तो राजा की ही होगी !

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 13 फ़रवरी 2017, 5:44 PM (IST)

असगर नकी,अमेठी। यूपी असेम्बली इलेक्शन में अमेठी सीट की हिस्ट्री का यहां पहला रोमांटिक मुकाबला होने जा रहा है जहां पार्टी की जगह फैमली के बीच चुनावी जंग होने जा रही है। इसकी देन कोई और नहीं देश की सत्ता के शीर्ष पर बैठी बीजेपी है। बकौल कांग्रेस सांसद डा. संजय सिंह बीजेपी ने हमारे पारिवारिक विवाद में दखल देते हुए गरिमा सिंह को टिकट दे दिया। लेकिन बीजेपी के इस पैंतरे के बाद भी जीत तो डा. संजय सिंह की ही होनी है। वो चाहे कांग्रेस जीते या बीजेपी। वो इसलिए कि दोनो पत्नियों ने नामांकन पत्र में पति के रुप में डा. संजय सिह का नाम जो लिखा है।
आई जानें क्या है अमेठी की हिस्ट्री

तक़रीबन बारह सौ साल पुराने अमेठी राजघराने में कुछ समय पहले छिड़ी विरासत की जंग आज बीजेपी के कारण सियासी रूप ले चुकी है। राज घराने के डा. संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह पहली बार भाजपा से प्रत्याशी हैं वहीं दूसरी पत्नी रानी डा. अमीता सिंह कांग्रेस से प्रत्याशी हैं। भले ही दो प्रमुख राजनीतिक दलों से चुनाव लड़ रही हैं लेकिन यहां तो असली लड़ाई परिवार की नजर आ रही है।

कांग्रेस प्रत्याशी के साथ पति और बेटी
अमिता सिंह के चुनाव प्रचार की कमान स्वयं पूर्व केन्दीय मन्त्री डा. संजय सिंह ने सम्भाल रखी है। गुरुवार को जब अमिता सिंह नामांकन करने पहुची तो उनके साथ डा.संजय सिंह व उनकी बेटी आंकंक्षा सिंह भी मौजूद रहीं।


बीजेपी प्रत्याशी के साथ बेटा, बहू और बेटियां
दूसरी ओर पूर्व पीएम वी.पी. सिंह की भतीजी गरिमा सिंह के चुनाव प्रचार की कमान उनके बेटे अनन्त विक्रम सिंह बहू शाम्भवी सिंह बेटियां महिमा सिंह व शैव्या सिंह ने सम्भाल रखी है। ये अमेठी की हिस्ट्री में पहली बार ही हो रहा है कि जब चुनाव में राज घराने के परिवार दो खेमों में बंटे हैं।



संजय सिंह व अमीता सिंह दोनों ही हैं राजनीति के माहिर
हालांकि राजनीति के माहिर खिलाड़ी डा. संजय सिंह किसी दुविधा में नहीं है। वह साफ कहते है कि गरिमा सिंह अब हमारे परिवार की सदस्य नहीं हैं। और वे पूरी प्रतिष्ठा अमिता सिंह के लिये लगाये हुए हैं। अमिता सिंह भी राजनीति के लिये नई नहीं हैं वे सुलतानपुर से जिलापंचायत अध्यक्ष अमेठी से विधायक व सूबे मे मंत्री रह चुकी हैं। राजनीति में आने से पहले वे बैडमिन्टन की अन्तराष्ट्रीय खिलाड़ी रही। इसलिये राजनीति के सारे दांव पेच से पहले से ही वाकिफ हैं। दूसरी तरफ गरिमा सिंह, पहली बार राजनीतिक अखाड़े में उतरी हैं। जिनके साथ लगे बेटा, बहू और बेटियां सभी राजनीति से अनभिज्ञ जरुर हैं लेकिन राजनीति उनके खून में शामिल है, और ये जनता की सहानुभूति के भरोसे मैदान में हैं।



किसके साथ है जनता बताएगा आने वाला फैसला
यहां बताते चलें कि तक़रीबन 20 साल के अरसे पहले डा. संजय सिंह ने गरिमा सिंह को तलाक दे दिया था और अमिता सिंह से दूसरी शादी कर ली थी। तभी से दोनो पत्नियों के बीच अदावत चल रही है। बीते साल अमेठी रियासत में विरासत को लेकर अदावत की चिंगारी इस तरह भड़की जो आज इस मोड़ पर आ पहुंची है। यहाँ कोई झुकने को तैयार नहीं है दोनो तरफ से अमेठी की जनता का खुद के साथ होने का दावा किया जा रहा है। जनता के दिलों को जीतने की पुरजोर कोशिश भी हो रही है। यह तो समय ही बतायेगा कि दोनो की इस जंग में अमेठी की जनता राजा का साथ देती है या पूर्व पत्नी की तरफ अपना झुकाव जाहिर करती है। लेकिन एक बात ये तय है कि यह चुनाव ही तय करेगा कि भविष्य में अमेठी राजघराने की राजनीतिक विरासत को कौन सम्भालेगा?
[# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]

[@ प्रत्याशियों की पत्नियों के पास है कुबेर का खजाना, पढ़कर रह जाएंगे हैरान]

गांधी परिवार और राजघराने का कुछ ऐसा है इतिहास
कभी सुलतानपुर जिला का हिस्सा रही अमेठी किसी परिचय की मोहताज नहीं है। आज देश की परिधि के बाहर भी अमेठी का नाम है। इसके पीछे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से अमेठी राजघराने का ही हाथ है। गांधी परिवार को अमेठी लाने का श्रेय राजपरिवार को ही जाता है। राजीव गांधी, सोनिया गांधी यहा से सांसद रहे हैं और आज राहुल गांधी यहा से सांसद है। गांधी परिवार व अमेठी राजघराने के राजनीतिक रिश्ते की शुरुआत जरुर हुई लेकिन तमाम उतार चढ़ाव के बाद राजनीति का ये लम्बा सफर पारिवारिक रिश्तों में बदल चुका है।

[@ प्रत्याशियों की पत्नियों के पास है कुबेर का खजाना, पढ़कर रह जाएंगे हैरान]

समय-समय पर गांधी परिवार ने दी है रिश्तों की दुहाई
शायद ही कभी ऐसा मौका रहा हो जब गांधी परिवार के प्रत्येक सदस्य ने अपने भाषण में पारिवारिक रिश्ते की दुहाई न दी हो। गांधी परिवार की नई व पुरानी पीढ़ी के लोग समय-समय पर पारिवारिक रिश्ते की इस डोर को मजबूती देते रहे। राजनीति में आने से पहले राहुल गांधी नें राजनीति का ककहरा इसी अमेठी से सीखा था। प्रियंका गांधी राजनीति में सक्रिय भले न हो लेकिन अमेठी में उनकी सक्रियता हमेशा बरकरार रही है।अभी कुछ दिन पहले प्रिंयका का बेटा अमेठी घूमने भी आया था, जिसको लेकर सियासी गलियारों में खूब चर्चायें रही।

[@ यहां पति के जिंदा रहते महिलाएं हो जाती हैं विधवा]

भाजपा प्रत्याशी को मिल सकता है फ्रेण्डली फाइट का लाभ
यही नहीं बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं की 10 जनपथ तक आमद रहती है। इन सबके बीच कांग्रेस के इस गढ़ को भेदने की फिराक में भाजपा ने एक नई चाल चली है। भाजपा से इस सीट के लिये टिकट गरिमा सिंह के बेटे अनन्त विक्रम सिंह नें मांगा जरुर था लेकिन लड़ाई को रोमांचक मोड़ देने के लिये भाजपा ने उनकी जगह गरिमा सिंह को टिकट दिया है। वहीं सपा से पहली बार इस सीट से विधायक हुए सूबे के बहुचर्चित मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति भी ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में पूरे प्रदेश में काग्रेस-सपा का यह गठबन्धन यहां दरकता दिख रहा है। प्रदेश के अन्य सीटों पर एक दूसरे का समर्थन कर रहे सपाई व काग्रेसी यहां फ्रेण्डली फाइट कर रहे हैं। जिसका लाभ कमोबेश भाजपा प्रत्याशी को मिल सकता है।

[@ प्रत्याशियों की पत्नियों के पास है कुबेर का खजाना, पढ़कर रह जाएंगे हैरान]