केसर का प्रयोग बिरयानी, खीर,
मिठाई और केसर का दूध सौंदर्य उत्पादों में फ्लेवर डालने के लिए किया जाता
है। यह आमतौर पर स्वास्थ्य के पूरक पदार्थाे में हाजमें को दरूस्त करने के
लिए किया जाता है। केसर का सेवन करने से महिलाओं को मासिक धर्मका समस्याओं
से मुक्ति मिलती है। केसर एक सुगंध देने वाला पौधा है। पतली बाली सरीखा
केसर 15-25 सेंटीमीटर ऊंचा होता है। पत्तियां संकरी, लंबी और नालीदार होती
हैं। इनके बीच से पुष्पदंड निकलता है, जिस पर पुष्प होते हैं।
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बच्चों को सर्दी, जुकाम, बुखार होने पर केसर की एक पंखुडी पानी में घोंटकर
इसका लेप छाती, पीठ और गले पर लगाने से आराम होता है। चंदन को केसर के साथ
घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से सिर, आंख और मस्तिष्क को शीतलता, शांति और
ऊर्जा मिलती है। इससे नाक से रक्त का गिरना बंद हो जाता है और सिर दर्द
जल्द दूर होता है।
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इसका उपयोग मक्खन आदि खाद्य पदार्थों में रंग एवं स्वाद लाने के लिए किया जाता है। चिकित्सा में यह उष्णवीर्य, उत्तेजक, पाचक, वात-कफ नाशक मानी गयी है। इस कारण इसका उपयोग कई तकलीफों में किया जाता है। आयुर्वेदिक नुस्खें, खाद्य व्यंजनों, देव पूजा आदि में तो केसर का उपयोग सालों से होता आ रहा है।
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बच्चे को सर्दी हो तो केसर की 1-2 पंखुड़ी 2-4 बूंद दूध के साथ अच्छी तरह घोंटें ताकि केसर दूध में घुल जाए। इसे एक चम्मच दूध में मिलाकर बच्चे को सुबह-शाम पिलाएं। इससे उसे काफी लाभ होगा। माथे, नाक, छाती व पीठ पर लगाने के लिए केसर, जायफल व लौंग का लेप पानी में बनाएं और रात को सोते समय इसका लेप करें।
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केसर दूध पौरुष व कांतिवर्धक होता है। जाड़े में गर्म व गर्मी में ठंडे दूध
के साथ केसर के उपयोग की सलाह दी जाती है। चोट लगने पर या त्वचा के झुलस
जाने पर केसर का लेप लगाने से आराम मिलता है। पेट से जुड़ी अनेक
परेशानियां, जैसे अपच, दर्द, वायु विकार आदि में केसर काफी उपयोगी साबित
होती है। संतान गोरी चाहिए ।
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यह उत्तेजक, वाजीकारक, यौनशक्ति वर्धक, त्रिदोष नाशक, वातशूल शमन करने वाली है। इतना ही नहीं, यह मासिक धर्म ठीक करने वाली, त्वचा को निखारने वाली, रक्तशोधक, प्रदर और निम्न रक्तचाप को ठीक करने वाली भी है। कफ का नाश करने, मन को प्रसन्न रखने, मस्तिष्क को बल देने वाली, हृदय और रक्त के लिए हितकारी भी है। इसका उपयोग आयरुवेद और यूनानी नुस्खों में भी किया जाता है। महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को दूर करने के लिए 2-2 रत्ती केसर दूध में घोलकर दिन में तीन बार देना फायदेमंद होता है।
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